
पूरे 36 वो भी 63 बूझो तो..
दिन की ही नहीं सप्ताह की भी अगर कोई महत्वपूर्ण खबर है तो मगर यही कि भूतपूर्व विधायकों ने भी अपना संगठन बना लिया है। वे एकजुट होकर जो, जो भी करेंगे तय है कि उत्तराखण्ड को देवभूमि बनाने का कार्य आगे बढ़ायेंगे। इसके लिए इन महापुरुषों ने छानी से लेकर राजधानी तक क्या-2 नहीं किया है, कितने बलिदान दिए हैं।
न चाहते हुए भी 36 का आंकड़ा बने रहे ताकि देवभूमि की जनता को पता न चले कि ये सभी एक ही हमाम के नंगे हैं। 63 होने के लिए तो पांच सितारों की शामों की छांव सहज उपलब्ध थी। 36 का आंकड़ा दिखाने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ा है।
जनता और सरकार को यह याद रखना चाहिए। खैर,जनता ने हमसे जो भी बेवफाई की है उसे माफ कर हम उसकी बाकी बची-खुची भलाई के लिए अपने सींग भिड़ाने को तैयार हैं। वे खुशियां बरकरार रहनी चाहिए, उत्तराखण्डियत के लिए जरूरी है।