
टिहरी
उत्तराखण्ड जैसे भोगोलिक रूप से अतिसंवेदनशील राज्य के लिए इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है कि जब हमारी कोशिशें जोशीमठ को त्रासदी से उबारने और सबक सीखने पर केन्द्रित होनी चाहिये, फिर सरकारी नौकरियों की परीक्षा के पर्चे लीक हो गए । सरकार को आननफानन नकल रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का निर्णय लेना पड़ा है।
सवाल यह है कि नये सख्त कानून से सिस्टम की दरारें भर जाएंगी ? दरअसल इस राज्य की स्थापना के समय जो दुर्बीज बोये गए थे, आज वही फसल लहलहा रही है। राजनीतिक कारोबार में नव निर्माण का स्वप्न दफन हो गया , समाज को जात, धर्म के नशे की घूंट पिलाकर और तरह- 2 के जुमलों से भ्रमित किया जा रहा है। कोई ऐसा कोना शेष है जहां इस प्रदूषण से मुक्त हवा में सांस लेते हुए हम बुनियादी बातों पर बेबाक बातें कर सकते हैं!