
उत्तराखंड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में देश के प्रथम गांव माणा और नीती घाटी की महिलाओं की ओर से भोजपत्र पर बनाई जा रही कलाकृति को सराहा। उन्होंने कहा कि भोजपत्र जैसी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर उसे आर्थिकी का जरिया बनाना प्रशंसनीय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 103वें एपिसोड से देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने उत्तराखंड के चमोली जिले का भी जिक्र किया. इस दौरान पीएम मोदी ने चमोली जिले की नीती-माणा घाटी की महिलाओं द्वारा भोजपत्र के बनाए जा रहे उत्पादन की जमकर तारीफ की. साथ ही प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से अपील की थी, कि वो, यात्रा के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोकल उत्पादों को खरीदें. उन्होंने कहा कि ये प्राचीन विरासत उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के नए रंग भर रही है.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की कुछ माताओं और बहनों ने जो पत्र मुझे लिखे हैं, वो भावुक कर देने वाले हैं. उन्होंने अपने बेटे को, अपने भाई को, खूब सारा आशीर्वाद दिया है. उन्होंने लिखा है कि ‘उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर रहा ‘भोजपत्र’ उनकी आजीविका का, साधन, बन सकता है. साथियो, मुझे यह पत्र चमोली जिले की नीती-माणा घाटी की महिलाओं ने लिखा है.ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर माह में मुझे भोजपत्र पर एक अनूठी कलाकृति भेंट की थी. यह उपहार पाकर मैं भी बहुत अभिभूत हो गया.
दरअसल, प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन के बाद भोजपत्र के उत्पादों की बिक्री बढ़ने पर इसी सात जुलाई को नीती-माणा घाटी की महिलाओं ने भोजपत्र पर लिखी भगवान बदरी विशाल की आरती और एक पत्र प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित कर उनका आभार जताया था। प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन से घाटी की महिलाएं उत्साहित हैं। 21 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री मोदी माणा आए थे।
इस दौरान वहां आयोजित सरस मेले में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जनजातीय महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर बनी कलाकृति भेंट की। इससे अभिभूत प्रधानमंत्री ने महिलाओं की कला की प्रशंसा की और तीर्थ यात्रियों से अपने यात्रा व्यय का पांच प्रतिशत स्थानीय उत्पादों की खरीद पर खर्च करने का आह्वान किया था।
इसी का परिणाम है कि आज भोजपत्र भोटिया जनजाति की महिलाओं के लिए आजीविका का साधन बन गया है। वर्तमान में 80 महिलाएं भोजपत्र पर कलाकृति बनाने का काम कर रही हैं।
जिला प्रशासन भी भोजपत्र स्मृति चिह्न बनाने के लिए सुलेख प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। नीती गांव की सुनीता राणा, शशि थपलियाल, मंजू देवी और पार्वती देवी का कहना है कि प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद बदरीनाथ धाम सहित यात्रा मार्ग पर बने स्वयं सहायता समूह के काउंटर से उनके उत्पाद खूब बिक रहे हैं।
माणा गांव की वीना देवी और मनीषा देवी ने भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये राष्ट्रीय मंच पर उनकी सराहना के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है। यात्रा सीजन में भोजपत्र पर बनी कलाकृति समेत अन्य उत्पादों से जनजातीय महिलाएं एक लाख रुपये से अधिक का लाभ अर्जित कर चुकी हैं।