
टिहरी
9 अगस्त 1987 उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन है। पृथक पर्वतीय राज्य निर्माण की मांग को लेकर उत्तराखण्ड क्रांति दल ने बंद और चक्का जाम का आह्वान किया था। इसे जबरदस्त सफलता मिली थी। उस दिन रक्षा बंधन का पवित्र त्होहार था।
इन्द्रमणि बडोनी एवं उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी, एक सत्याग्रही के लापता होने के बाद पौड़ी शहर और आसपास के गांवों से शुरू हुआ आंदोलन आज (1994) में पूरे उत्तराखण्ड को अपने आगोश में समेट रहा था। हालांकि मुख्यधारा के राजनीतिक दल प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से इसे ओबीसी आरक्षण विरोध तक सीमित रखने में जुटे हुए थे।
यह विडम्बना ही तो है कि आज 23वें साल के उत्तराखण्ड को अपने भू- कानून, मूल निवास एक शब्द में “अस्तित्व” बचाये रखने की मांग को लेकर अपने सीएम के सरकारी आवास की दौड़ लगानी पड़ रही है। आज अचानक सभी जिलों में आंदोलनकारियों को चिन्हित किया जाना है, यह सिर्फ संयोग है ? सरकार राज्य आंदोलन के जिस इतिहास को बच्चों को पढ़ाने की तैयारी कर रही है, उसका अंश। एक वाक्य वे कई बार दोहराते रहे हैं अटल जी ने दिया है और …… । जमीन पर चाहे जो हो, तनखैया इतिहासकारों की मेधा का इस्तेमाल करने का यही तो अमृतकाल है।
अरे हां, आज के दिन ही तो महात्मा गांधी के आह्वान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो…देश की सारी समस्याओं की जड़, है न !
