
इतिहास
नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस का तिराह इलाका। अब ये जगह पाकिस्तान में है। करीब 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में अंग्रेजों के 2 किले थे। ये किले गुलिस्तां और लॉक्हार्ट में थे। इन किलों के बीच में सारागढ़ी की चौकी थी।अपने इलाके में अंग्रेजों की घुसपैठ स्थानीय पठान लोगों को पसंद नहीं आई थी। वे इन किलों से अंग्रेजों को भगाने के लिए हमले किया करते थे। अंग्रेजों ने लेफ्टिनेंट कर्नल जॉन हॉटन के नेतृत्व में 36 सिख रेजीमेंट की पांच कंपनियों को इस इलाके में तैनात कर रखा था। सारागढ़ी की कमांड हवलदार ईशर सिंह और 20 दूसरे जवानों के जिम्मे थी।
12 सितंबर 1897 को 12-14 हजार पठानों ने दोबारा सारागढ़ी पर हमला किया। इन हजारों पठानों से निपटने के लिए चौकी में 21 सिख जवान मौजूद थे। हजारों की तादाद में पठानों को देखकर सैनिकों ने इसकी सूचना कर्नल हॉटन को दी। हॉटन उस समय लॉक्हार्ट के किले में थे। उन्होंने कहा कि वे इतने कम समय में कोई मदद नहीं पहुंचा पाएंगे। 21 सिख सैनिकों ने अकेले ही हजारों पठानों से लड़ने का फैसला किया। पूरा इलाका- ‘बोले सो निहाल, सतश्री अकाल’ के नारे से गूंज उठा।
21 सैनिकों ने 2 बार पठानों को पीछे खिसकने पर मजबूर कर दिया। पठान किले के भीतर घुसने में कामयाब नहीं हो पाए। आखिर में उन्होंने फैसला लिया कि किले की दीवार को तोड़कर अंदर घुसा जाएगा। सिखों के पास गोलियां खत्म हो गईं तो उन्होंने अपनी राइफलों में लगे संगीन से हमला करना शुरू कर दिया। 6 घंटे तक चले युद्ध में 21 सैनिकों ने 600 से ज्यादा पठानों को मार गिराया। हालांकि किले पर पठानों ने कब्जा कर लिया, लेकिन 1 दिन बाद ही अंग्रेजों ने पठानों से किले को वापस छुड़ा लिया। 2019 में आई अक्षय कुमार की फिल्म केसरी इसी युद्ध पर आधारित है।
1919: हिटलर की राजनीति में एंट्री
तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने आज ही के दिन जर्मन वर्कर्स पार्टी की मीटिंग पहली बार अटेंड की थी। यहीं से उसे राजनीति में आने का शौक लगा और फिर उसने जो किया, उसने इतिहास को शर्मसार कर दिया।
कॉर्पोरल हिटलर को जर्मन वर्कर्स पार्टी की जासूसी का काम मिला था। 12 सितंबर 1919 को सादे कपड़ों में म्यूनिख के बियर हॉल में उसने पहली पार्टी मीटिंग अटेंड की। सभी वक्ताओं के बोलने के बाद हिटलर खड़ा हुआ और उसने सभी के साथ अपनी असहमति जताई।
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उसका भाषण इतना जबर्दस्त था कि उसे पार्टी का सदस्य बनने का आमंत्रण दिया गया। हिटलर दो साल में उसी पार्टी का सर्वेसर्वा बन गया। आगे चलकर इस पार्टी का नाम बदलकर नाजी पार्टी किया गया।
हिटलर की पार्टी ने पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में बढ़ी बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। यहूदी-विरोधी भावनाओं को हवा दी। 1930 तक नाजी पार्टी जर्मनी में एक बड़ी ताकत बन गई और 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर बन गया। तानाशाही चरम पर थी और कहते हैं कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ही हिटलर ने दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध की चौखट पर पहुंचाया।
इसके अलावा साल 1959 में आज ही के दिन तत्कालीन सोवियत संघ का रॉकेट ‘लूना 2’चांद पर पहुंचा था. ये एक बड़ी कामयाबी थी, जिससे अमेरिका बेचैन हो गया था और दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ यानी स्पेस रेस शुरू हो गई थी.
हजारों-लाखों साल के मानव इतिहास में यह पहला मौका था, जब इंसान की बनाई कोई चीज चांद पर पहुंची थी. इसके साथ ही सोवियत संघ ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और झंडा गाड़ दिया था.
1944: जर्मनी में दाखिल हुई थी अमेरिकी सेना
आज ही के दिन 1944 में अमेरिकी सेना ने पहली बार जर्मनी में प्रवेश किया। दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद से जर्मनी यूरोप में अमेरिका की रक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी पर 10 साल तक मित्र देशों का कब्जा रहा। अमेरिकी सेना उसका ही हिस्सा थी। हालांकि, सेना की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई।
देश-दुनिया में 12 सितंबर का इतिहास-
1966: भारतीय तैराक मिहिर सेन ने डार्डानेलेस जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया.
1962 : प्रसिद्ध रचनाकार रांगेय राघव का निधन हुआ था.
1968 : अल्बानिया ने खुद को वारसा संधि से अलग करने की घोषणा की.
1983 : भारतीय अभिनेता, गायक, पत्रकार और लेखक रंजन का निधन हुआ था.
1990 : पूर्व और पश्चिम जर्मनी को एकीकृत करने के लिए अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, सोवियत संघ, पूर्व और पश्चिम जर्मनी ने समझौते पर हस्ताक्षर किये.
1398 : तैमूर लंग सिंधु नदी के तट पर पहुंचा.
1928 : फ्लोरिका में भीषण तूफाने से 6 हजार लोगों की मौत.
2001 : अमेरा ने आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान किया.
1873 : पहला व्यवहारिक टाइपराइटर ग्राहकों को बेचा गया.
2007: रूस ने नॉन न्यूक्लियर वैक्यूम बम (इको फ़्रेंडली बम) का परीक्षण किया।