भौंकुछ: जो दर्दे दिल दिए हैं वे दवा ए बाम देते हैं – विक्रम बिष्ट

भौंकुछ 

जो दर्दे दिल.दिए हैं वे दवा ए बाम देते हैं

राजनीति से ज्यादा भौंकुछ कुछ नहीं हो सकता है। उलटबांसी से लेकर ऊलजलूल तक कोई शब्द है? जिससे इसे समझा जा सके।.मनुष्य तो प्यादा भर है, ईश्वर अल्लाह ईसा मूसा कोई भी राजनीति की बिसात पर अल्लंघ्य बादशाह नहीं हैं।
राजनीति ही है जो तमाम मत-मतातंरों का मूल भी है और शिखर भी। यह पत्थर को ईश्वर और कुछ नहीं को सबकुछ बनाती है। कर्तव्यनिष्ठा से बलिदान की सीख देती है और संसार में उपलब्ध माया रूपी सभी दु:खोंं को सानंद निगलती है। ताकि, बेचारे आम लोगों का इहलोक और परलोक सुधारा जा सके है।
राजनीति ही है जिसे दूसरों के छल से लोगों को बचाने के लिए कपट करने पड़ते हैं। अपना जमीर और तुम्हारी जमीन बेशक खुशी- खुशी बिक जाए, लोक का परलोक सुखी होना चाहिए। इस मामले में कोई भेदभाव नहीं, सभी समान हैं। हर रंग – ढंग की राजनीति करने के लिए विवश लोगों के सिवाय। कितना कष्ट होता होगा इतने ऊंचे आदर्श के लिए बनाए जाने वाले नियमों के खुद पालन करने में संयम बरतने में! हे…

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