देहरादून से उत्तराखण्ड के स्वाभिमान की लडा़ई की करनी चाहिए अगुवाई – विक्रम बिष्ट

टिहरी
” गढ़वाल नरेश प्रध्युम्न शाह इसी देहरादून के खुड़बुड़ा में शहीद हुए थे। पूरा उत्तराखण्ड गोरखाओं का गुलाम हो गया था। हमारी आपसी लड़ाई उस दुर्दशा का कारण थी। आज हमें इसी देहरादून से उत्तराखण्ड के स्वाभिमान की लडा़ई की अगुवाई करनी चाहिए। ‘
देहरादून घण्टाघर के पास पटेल चौक पर उक्रांद की रैली में एक युवा के इस भाषण ने लगभग चक्का जाम की स्थिति बना दी थी। तब देहरादून में ट्रैफिक की आज जैसी जाम स्थितियों की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
देहरादून सहित उत्तराखण्ड के आज जो हालात हैं, श्रीनगर दरबार के षडयंत्रकारी रामा धरणी इस कल्पना की हद तक नहीं जा सकते थे।
बेशक लड़ाई अब ज्यादा कठिन है। कोई मुलायम सिंह, मायावती नहीं, जिन्हें कोसा जाए। हैं तो शक्लें और कुछ-कुछ तरीक़े बदल कर अपने-अपनों के धंधों में। माल ए मुफ्त लूट और लुटाए जा।
इस सबके बावजूद ओर-छोर से हजारों लोग उत्तराखण्ड के अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं तो ,
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
मूल निवास, भू-कानून के लिए 11फरवरी को नई टिहरी रैली मे विभिन्न क्षेत्रों से लोग आना चाहते हैं।
उत्तराखण्ड के अस्तित्व की लड़ाई गैरसैंण को केन्द्र में रखकर ही जीती जा सकती है। सुविधाभोगी राजनीति देहरादून की सुन्दर वादियों को अपने छल-छद्म , लूट-खसोट के बदबूदार अड्डों से पाटने में जुटी हुई है।

Epostlive.com