हरदा की नकल कर “काफल चैप्टर” से कुछ अंश चुरा कर राजनैतिक नैपथ्य से उभरना चाहते है कुछ नेता : शान्ति प्रसाद भट्ट प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस

टिहरी

हरदा की नकल कर “काफल चैप्टर” से कुछ अंश चुरा कर राजनैतिक नैपथ्य से उभरना चाहते है कुछ नेता :
शान्ति प्रसाद भट्ट प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस /संयोजक काफल चैप्टर गढ़वाल मण्डल 

उत्तराखंड की राजनीति मे आजकल यदा कदा मिडिया/सोशल मीडिया मे दिखाई दे रहा है, कि कुछ नेता जो राजनैतिक नैपथ्य मे चले गए है, वे समाज मे और राजनीति मे जगह खोजने के लिए नित नए प्रयोग स्वरूप अनेकों मुद्दो को उछाल कर भाग जा रहें है, इसे अंग्रेजी मे हिट एंड रन की पॉलिटिक्स भी कहा जाता है, कभी वे धर्म के नाम पर तो कभी स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, बिजली, पाणी के नाम पर अपने क्षेत्र के लोगों को गुमराह कर रहें, किंतु डबल इंजन की सरकार मे जनता को कुछ भी हासिल नहीं हुआ,
इसी क्रम मे हरदा यानी उत्तराखंड के खांटी दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत का उतराखंडियत से लगाव जग जाहिर है, उसमे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पाद हो जैसे मंडवा, झंगोरा, कौणी, कालेभट्ट, कंडाली, गेंठी, बेडू,तिमल, हिंसर, किंगोड, मोलू, घिंगारु,के अतरिक्त आम, पहाड़ी खीरा, सहित अन्य सभी पहाड़ी फल, सब्जियां फसल और विशेष रूप से काफल यह हरीश रावत जी के मानों खून मे रचे बसे हों। और इन्ही को प्रमोट करने के लिए हरदा हमेशा सक्रिय दिखे है।
हरीश रावत जी ने काफल चैप्टर नाम से सम्पूर्ण उतराखंड मे बाकायदा एक सामाजिक संगठन विगत कई वर्ष पूर्व खड़ा किया हुआ है, जो प्रति वर्ष हरेला पर अनेकों फलदार(विशेष रूप से काफल), गैर फलदार वृक्षों का रोपण करते है,किंतू अब राजनैतिक नैपथ्य मे गए कुछ नेता हरीश रावत जी के इन्हीं औषधीय गुणों से अमर होना चाहते है, जबकि वे भविष्य के राजनैतिक नैपथ्य मे जा चुके है । अब उन्हें हरदा का काफल चैप्टर ही एक मात्र संजीवनी लग रहा है। ,,,,,

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विभिन्न राजनैतिक दलों, ट्रेड़ यूनियन, सामाजिक संस्थाओं व कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में काफल चैप्टर ऑफ गढ़वाल मण्डल की एक अलग अंदाज में घोषणा की है, जिसके संरक्ष जीबीक मण्डल में विधायक मनोज रावत, पूर्व विधायक गणेश गोदियाल, पृथ्वीपाल चौहान, सुरेन्द्र कुमार,जोत सिंह बिस्ट व संदीप साहनी तथा संयोजक आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा व शन्ति प्रसाद भटट् सहसंयोजक कुलबीर सिंह नेगी, संदीप पटवाल, गोदाम्बरी रावत, गीतु आर्य और विजय पाल रावत को बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आज स्थानीय होटल में विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगो को चाय व काफल का स्वाद चखने को आमंत्रित किया था, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगो ने भागीदारी की है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री रावत ने कहा कि काफल चैप्टर ऑफ गढ़वाल पॉच सूत्रों पर काम करेगा , जिनमें मुख्यतः राज्य की आर्थिकी बढ़ाने वाले वृक्ष जैसे अख्रोट, चुल्लू, नीम्बू, तेज पात्र, आम्बला, तुलसी आदि, दूसरे सूत्र में रेशे वाले पौधे जैसे बास, रामबास, कण्डाली आदि का संरक्षण व आर्थिक उपयोग, तीसरा सूत्र मोटे अनाजों के व्यंजनों को बढ़ावा देना, चौथा राज्य के पारंपरिक शिल्प का संरक्षण करना व पॉचवा राज्य के पारंपरिक वस्त्र, आभूषण व पहनावे को वाणिज्य आधार पर बढ़ावा देना। उन्होने कहा कि राज्य के सरोकारों को लेकर वें राजनीति से इतर अपने प्रयास करते रहेंगे, जिसमें जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की जायेगी, हमें मात्र सरकारों पर निर्भर रहने के बजाए कुछ नई पहल करनी होंगी।
अपने काफल चैप्टर के माध्यम से श्री रावत शासन में रहते हुए गाड़-गदेरे, झंगोरा-मड़वा व जल-जंगल-जमीन जैसे अपने एजेण्डे की जोरदार वकालत करते रहे है ,अब सरकार से बाहर रहकर फिर भी अपना ऐजेंडा छोड़ा नहीं है ,आज के काफल चैप्टर में समाजवादी पार्टी के नेता ड़ा0 एस.एन. सचान, पदमश्री अवधेश कौशल, श्रीमती वैध बालेन्दु, वैध शिखा बालेन्दु, कामरेड़ बच्ची राम कंसवाल, सीपीआई से समर भण्डारी, सीपीएम से सुरेन्द्र सजवाण, सीटू से वीरेन्द्र भण्डारी, ड़ा0 महेश भण्डारी, प्रभुलाल बहुगुणा, डा0 के.स. राणा, अनिल सैनी, घाद से हर्षमणी व्यास, ट्रेड़ यूनियन से जगमोहन मेहन्दीरत्ता, आर.एस रजवार, कुलदीप डोबरियाल, कांग्रेस नेता जोत सिंह बिष्ट, आर.पी. रतूड़ी, मथूरा दत्त जोशी, प्रदीप जोशी, नजमा खान, कमलेश रमन, परिणाता बडूनी, आशा टम्टा, गरिमा दसौनी, रेखा डिंगरा, राधिका शर्मा, सययद शेभी हुसैन सहित सैकड़ों लोगो ने काफल, बाल मिठाई, अर्से व चाय का लुत्फ उठाया।

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