
टिहरी
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के 10 साल:महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने निकाली स्कूटी रैली
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के 10 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक विशेष जन-जागरूकता रैली का आयोजन किया गया जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय गौरव द्वारा विकास भवन नई टिहरी से स्कूटी रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली का मुख्य उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना और उनके लिंगानुपात, शिक्षा तथा स्वास्थ्य में सुधार लाना था। यह अभियान महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आज दिनांक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से मिशन शक्ति- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक विशेष जन-जागरूकता रैली का आयोजन किया गया. जिसमें में जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय गौरव द्वारा विकास भवन नई टिहरी से स्कूटी रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
यह रैली विकास भवन से गणेश चौक बोराडी तक निकाली गई . रैली का मुख्य उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना और उनके लिंगानुपात, शिक्षा तथा स्वास्थ्य में सुधार लाना था। यह अभियान महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस साल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ यानी BBBP योजना की 10वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है.इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में महिला बाल विकास विभाग के वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रश्मि बिष्ट सांख्यिकी सहायक पूनम नाकोटी मिशन शक्ति की फाइनेंस लिटरेसी विकाश शाह, जेंडर स्पेशलिस्ट रजनी लखेड़ा, सौरभ डेटा ऑपरेटर, कोडीनेटर आशीष, कनिष्ठ सहायक जावेद एवं महिला केप लाइन प्रभारी रेखा, एवम् रैली में स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक पुलिस विभाग के कार्मिक एवं अन्य उपस्थित रहे।
कब शुरु हुई थी ये योजना?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हरियाणा के पानीपत में भारत में लिंग असंतुलन और घटते बाल लिंग अनुपात को खत्म करने के लिए शुरू किया गया था. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान लिंग असंतुलन और घटते बाल लिंग अनुपात की चिंताजनक स्थितियों के जवाब में शुरू किया गया था, जो अपने नीतिगत पहल से राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया.
इस योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
लिंग आधारित चयन पर रोकथाम.बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना.बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना.बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना.