देहरादून में वायरल वीडियो पर एक्शन ,छात्रों से उठवाई रेता-बजरी प्रधानाध्यापक निलंबित

देहरादून

देहरादून में वायरल वीडियो पर एक्शन ,छात्रों से उठवाई रेता-बजरी प्रधानाध्यापक निलंबित

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला में स्कूली बच्चों से रेत-बजरी उठवाने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रधानाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

सोशल मीडिया वीडियो से खुला मामला

6 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें सरकारी प्राथमिक विद्यालय के छोटे बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में तसले और फावड़े से रेत उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बच्चे स्कूल परिसर में रेत और बजरी को एक जगह से दूसरी जगह ढो रहे हैं।

वीडियो सामने आने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया और उप शिक्षा अधिकारी रायपुर को जांच के निर्देश दिए।

जांच में हुई पुष्टि

जांच के दौरान उप शिक्षा अधिकारी रायपुर ने रिपोर्ट में पुष्टि की कि विद्यालय में बच्चों से बाल श्रम कराया जा रहा था, जो कि शिक्षा नियमों और बाल संरक्षण कानूनों का गंभीर उल्लंघन है।

इस रिपोर्ट के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा), देहरादून ने विद्यालय की प्रधानाचार्य को तत्काल निलंबित करते हुए रायपुर कार्यालय में सम्बद्ध कर दिया है।

आदेश में क्या कहा गया है?

आदेश में कहा गया है कि विद्यालय परिसर में पढ़ने वाले छात्रों से इस तरह का शारीरिक श्रम करवाना न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन है, बल्कि बाल संरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण विभाग के दिशा-निर्देशों के भी खिलाफ है. यह मामला 2009 के बाल अधिकार अधिनियम के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है.

जिला शिक्षा अधिकारी ने उप शिक्षा अधिकारी, रायपुर को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए निर्देश दिए हैं कि वे पूरे मामले की गहन जांच कर 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें. साथ ही, निलंबन की अवधि में प्रधानाध्यापक का मुख्यालय रायपुर ब्लॉक कार्यालय निर्धारित किया गया है.

शिक्षा विभाग ने जताई कड़ी नाराज़गी

इस घटना ने शिक्षा विभाग को हिला कर रख दिया है। अधिकारियों का कहना है कि विद्यालय परिसर में बच्चों से शारीरिक श्रम करवाना बाल अधिकारों का उल्लंघन है और शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का भी सीधा उल्लंघन है।

क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम करवाना पूर्णतः प्रतिबंधित है। शिक्षा संस्थानों में ऐसा होना न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।

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