लोककला के संरक्षण के लिये कार्याशाला का आयोजन, केदारनृत्य की बारीकियों को सीख रही नई पीढ़ी

टिहरी। नई टिहरी स्थित विवेक मेमोरियल सुरगंगा संगीत विद्यालय में उत्तराखण्ड में लुप्त हो रहे संगीत पर कार्याशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें गायन, वादन और नृत्य शैलियों पर कार्याशाला में जौर दिया जा रहा है। मुख्य तौर पर लोक कलाकारों द्वारा नई पीढ़ी को केदार नृत्य के बारे में जानकारियां दी जा रही हैं। साल 1956 और 1966 की गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली में टिहरी के लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी थी। यह केदार नृत्य उत्तराखण्ड आन्दोलन के प्रणेता रहे इन्द्रमणी बडोनी निर्देशन में किया गया था। तब इस नृत्य की सराहना स्व. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गंाधी सहित सभी ने की थी। अब इस टीम के मात्र तीन सदस्य ही जीवित हैं। 84 वर्षीय शिवजनी, उनकी पत्नी गजला देवी और सहयोगी गिराज केदार नृत्य की गायन और वादन शैली की कार्याशाला के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रशिक्षण दे रहे हैं। रंगकर्मी महिपाल सिंह नेगी ने बताया कि उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों में कुछ ही कलाकार अब जीवित हैं, जो लोक कला के बेहतर ज्ञाता हैं, इन कलाकारों से पुरानी पारंपरिक कलाओं को जीवित रखने और संरक्षित करने के प्रयास होने जरूरी हैं। उन्होने कहा कि नई पीढ़ी को जानकारी देने के लिये इस प्रकार की कार्याशालाओं का आयोजन किया जाना खहिये, जिससे नये कलाकारोें को अपनी लुप्त होती कला के बारे में जानकारी मिल पाये।

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