
उत्तराखण्ड विधानसभा के 2017 में हुए आम चुनाव में पुरोला और धनोल्टी ने मोदी रथ को रोक लिया था। संयोग कहें या कुछ और भाजपा ने आगामी चुनावी रण के लिए विपक्षी खेमों पर पहला सीधा और मर्मांतक धावा यहीं मारा है।
विधानसभा में पुरोला के लिए सीट नंबर 1 आबंटित है। धनोल्टी का नंबर 14 है। भाजपा का विजय रथ टिहरी, उत्तरकाशी की 7 सीटों पर विरोधियों की धज्जियां उड़ाते हुए आगे बढ़ा लेकिन इन दो छोरों पर पस्त हो गया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा क्षेत्रों के क्रम में टिहरी, उत्तरकाशी के बाद पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत चमोली और रुद्रप्रयाग की पांच (क्रमांक 4 से 8) सीटें शामिल हैं। टिहरी जिले में क्रम संख्या 9 से14 तक विधानसभा सीटें हैं। टिहरी लोकसभा क्षेत्र की चकरौता सीट नंबर 15 है। पुरोला से कांग्रेस के राजकुमार जीते, वह पहले भाजपा में थे। उत्तराखण्ड आंदोलनकारी और उक्रांद से दो बार विधायक रहे प्रीतम पंवार धनोल्टी से निर्दलीय विधायक चुने गए थे।
संदेश दो टूक है। कांग्रेस ही नहीं समूचे विपक्ष को नेस्तनाबूद करना, ताकि न रहे बांस न बजेगी बांसुरी। वैसे कांग्रेस सिर्फ चुनावी दुश्मन है। नीतियों के मामले में दोनों मौसेरे भाई हैं।
इधर उत्तराखण्ड के असली मुद्दों पर पढ़ी-लिखी नौजवान पीढ़ी जिस तरह मुखर होकर सामने आ रही है, भाजपा और कांग्रेस के लिए देर-सवेर असली चुनौती यही हो सकती है।
फिलहाल टिहरी संसदीय क्षेत्र की एक मात्र चकराता विधानसभा सीट विपक्ष के पास रह गई है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह यहां से विधायक हैं। जाहिर है वहां चुनावी घेरेबंदी के अलावा कोई विकल्प नहीं है।