
देहरादून-कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान छात्रों में ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहित करने से शिक्षा सूचकांक में राज्य को अपनी स्थिति सुधारने में काफी मदद मिली है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने नीति आयोग सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में सभी भारतीय राज्यों के बीच मौजूदा चौथे स्थान से राज्य को शिक्षा में शीर्ष स्थान पर ले जाने का लक्ष्य रखा है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड ने 2019 की दूसरी छमाही में शिक्षा के क्षेत्र में राज्य में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म का उपयोग करना शुरू कर दिया था। शिक्षा विभाग ने छात्रों तक शिक्षा की पहुँच में सुधार के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया। उन्होंने कहा कि सभी स्तर पर ‘‘समग्र शिक्षा अभियान’’ की शुरुआत करते हुए स्कूलों, शिक्षा विभाग के अधिकारियों, नये युग के लिए तैयार होने वाले छात्रों के साथ बातचीत की। विभाग ने रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के लिए व्याख्यानों को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और बाद में उन्हें घर-घर ले जाने के लिए दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया।
शिक्षा मंत्री ने नवोन्मेषी पहल के साथ विभाग को प्रोत्साहित करते हुए जनवरी और फरवरी 2020 में ‘‘परीक्षा पर चर्चा’’ द्वारा महत्वपूर्ण बोर्ड परीक्षाओं का सामना करते हुए छात्रों में नया आत्मविश्वास पैदा करने की कोशिश की। शिक्षकों को हिंदी, अंग्रेजी, भौतिकी सहित विभिन्न विषयों के लिए एससीईआरटी प्रशिक्षण दिया गया, जबकि कुछ जिलों में एसआईईएमटी प्रशिक्षण दिया गया।
शिक्षा मंत्री ने वैश्विक महामारी से उत्पन्न संकट को भाँपते हुए बुनियादी ढाँचे को तेजी से बढ़ाया और शिक्षा से परे उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करना शुरू कर दिया। उत्तराखंड पहला राज्य था, जिसने सीखने के सत्रों को रिकॉर्ड करने और उन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए बुनियादी ढाँचे का उपयोग किया, जिसने न केवल राज्य के बच्चों को बल्कि यूपी, हिमाचल जैसे अन्य राज्यों की भी मदद की।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय कहते हैं, “इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को दी जाने वाली तकनीक और ज्ञान की पहुँच कई निजी स्कूलों में भी उपलब्ध नहीं है। ऑनलाइन शिक्षा में उठाए गए अभिनव कदमों के आधार पर हम नीति आयोग के एसडीजे इंडेक्स में 19वें स्थान से चौथे स्थान पर पहुँच सकते हैं। हमने अब राज्य को शीर्ष पर पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। हम जानते थे कि ऑनलाइन शिक्षा और ई-कक्षा समय की जरूरत है। यह न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी छात्रों को पढ़ाने में हमारी मदद करेगा, जहाँ छात्रों और शिक्षकों के बीच भौतिक संपर्क मुश्किल हो जाता है।”