
डेढ़ – पौने दो सौ दिनों के भीतर उत्तराखण्ड की नई सरकार बन जाएगी। अब तक राज्य में कुल कितनी सरकारें बनी हैं, गणना कर लीजिए।
भाजपा ने साफ कर दिया है कि चुनाव बाद उसकी सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ही होंगे। कांग्रेस में सूत-कपास की आशाओं के साथ मुख्यमंत्री पद के लिए लठ्ठम-लठ जारी है।
मुंगेरी-मुण्डा सपने देखने की मनाही नहीं है, यह हमारे लोकतंत्र का अच्छा मजाक रहा है।
2017 के चुनाव में जनता ने भाजपा को जितने वोट दिए पार्टी के बड़े-बड़े ज्ञानियों ने भी कल्पना नहीं की थी। करते तो भीतरघात की कोशिशें नहीं होतीं।
उससे पूर्व कांग्रेस में हुई बगावत और न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद सत्ता में वापसी के दौरान हरीश रावत ने कहा था कि अभी इन (विरोधियों) को और चार-पांच साल मुझको झेलना पड़ेगा। फिलहाल रावत जी को अपने उगाए कांटों को झेलना पड़ रहा है।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी राहत यह थी कि उत्तराखण्ड क्रांति दल ने अपने मुद्दों के लिए सड़कों पर संघर्ष की राह न अपना कर वास्तविक विपक्ष की भूमिका से परहेज़ रखा।
लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और कुछ हद तक देहरादून जिलों में बसपा और सपा के जो मतदाता कांग्रेस की ओर रुख कर सकते थे वे आप की तरफ जा सकते हैं। फिलहाल आप भाजपा के लिए एक बड़ी राहत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू तो है ही, योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता हैं। पार्टी की तीरथ गलती से उसका आधार तेजी से खिसकने लगा था, धामी ने उसे थाम लिया है। हाल में मुख्यमंत्री के फैसलों का सकारात्मक संदेश गया है।
चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा वर्तमान विधायक होंगे, यह तय है।