2 अक्टूबर उत्तराखंड का वो काला दिवस।

देश भर में गांधी जयंती व शास्त्री जयंती बड़े धूम धाम से मनाई जा रही है। वही दूसरी तरफ उत्तराखंड में 2 अक्टूबर ”काला दिन”के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे बड़ा कारण आज के दिन घटित मुजफ्फरनगरकांड है।

वैसे तो उत्तराखंड को उत्तरप्रदेश से अलग हुए काफी समय हो गया है। अगले महीने उत्तराखंड पुरे 21 साल का हो जायेगा। उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद हमे एक अलग राज्य तो मिल गया बस नहीं मिला तो उन शहीदों को न्याय, जिनकी वजह से यह अलग राज्य मिलने का सपना साकार हो सका।

उत्तराखंड की मांग को लेकर काफी आंदोलन हुए। एक ऐसा ही आंदोलन 2 अक्टूबर 1994 के दिन पृथक राज्य की मांग के लिए प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण दिल्ली जा रहे थे। जब प्रदर्शनकारीयो की गाड़िया मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे में पहुंची तो तिराहे के गाड़ियों को रुकवा दिया गया और पुलिस द्वारा तालशे शुरू हो गयी साथ ही प्रदर्शनकारीयो का उत्पीड़न किया गया।पुलिस वालो ने कई प्रदर्शनकारीयो की महिलाओ का बलात्कार किया। जब प्रदर्शनकारीयो द्वारा विरोध किया गया तो पुलिस ने बड़ी बेरहमी से प्रदर्शनकारीयो पर गोलियां बरसा दी। दो अक्टूबर को हुई इस घटना को पुलिस सबसे क्रूर घटना माना जाता है।

इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश के बाद इस घटना पर सीबीआई जांच करवाई गयी। गौरतलब यह की 1995 को इस घटना की रिपोर्ट को हाइकोर्ट के सामने पेश की गयी जिसमे प्रशासन को मुजरिम करार दिया गया। पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गयी लेकिन प्रशासन को छोड़ दिया गया।

उत्तराखंड राज्य की प्राप्ति यही नहीं हुई इसके लिए कई लोगो को अपनी जान की आहुति देनी पड़ी उसके बाद ही आज स्वतंत्र है। आज का दिन उत्तराखंड के इतिहास के पन्नो काले दिन के नाम से दर्ज है।

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