दो-टूक :पत्रकारिता झुंतू की जमींदारी? मुकेश पंवार


टिहरी बांध की झील पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण का केन्द्र बन गई है। उम्मीद है कि इस विशाल कृत्रिम झील के कारण यह क्षेत्र भविष्य में विकास की नयी ऊंचाइयों को छुयेगा। लेकिन टिहरी बांध की एक और देन नई टिहरी के बारे में यह उम्मीद नहीं दिखाई देती है।
वीआईपी मेहमान ही नई टिहरी की उम्मीदों पर पलीता लगा रहे हैं।
आये दिन वीआईपी सैर-सपाटे के लिए झील क्षेत्र में आते हैं। प्रचार भी जरूरी है। पत्रकारों को बुलाया जाता है। पत्रकार नई टिहरी में रहते हैं। लगभग बीस किलोमीटर दूर पत्रकार उनके दर्शन करने जाएं। कोई महत्वपूर्ण बात हो तो पत्रकारों का दायित्व बनता है।
इस महंगाई के समय में केवल वीआईपी की प्रचार भूख शांत करने की जिम्मेदारी पत्रकारिता के दायित्व में कब से शामिल हुई है?
अच्छा तो यह है कि जनता की गाढ़ी कमाई से मौज-मस्ती करने वाले महानुभाव अपने बहुमूल्य समय में कुछ क्षण नई टिहरी को दर्शन देने के लिए भी निकालें। इस शहर में कुछ तो चहलकदमी बढ़ेगी। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर भी अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा।

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