

चीन के हेनान प्रांत में बैंकों से बचत पैसे निकालने को लेकर हिंसक प्रदर्शन और झड़प की खबरें। लोगों का कहना है कि इस साल अप्रैल से बैंकों से अपनी बचत राशि को निकालने से उन्हें रोका जा रहा है। इस बीच चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के टैंकों को प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए सड़कों पर तैनात किया गया है।
झेंगझाउ: चीन की साल 1989 के तियानमेन स्क्वायर नरसंहार की घटना अब भी दुनिया वालों के जेहन में ताजा है। कुछ ऐसा ही नजारा एक बार फिर चीन की सड़कों पर नजर आने लगा है। दरअसल, बैंकों में द्वारा जमा अपनी बचत को निकालने से लोगों को रोकने के लिए बख्तरबंद टैंकों को चीन की सड़कों पर उतार दिया गया है।
चीन के हेनान प्रांत में पिछले कई हफ्तों से पुलिस और लोगों के बीच झड़पें हो रही हैं। बताया जा रहा है कि ये बैंकों में पैसे जमा करने वाले लोग हैं जिन्हें इस साल अप्रैल से बैंकों से अपनी बचत राशि को निकालने से रोका जा रहा है।
इसी संदर्भ में कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं जिसमें चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के टैंकों को प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए सड़कों पर तैनात देखा जा सकता है। बैंक जमाकर्ताओं द्वारा अपने पैसे को निकालने को लेकर प्रांत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला, बैंक ने पैसे निकालने से क्यों रोका?
रिपोर्ट्स के अनुसार बैंकों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों को बैंकों तक पहुंचने से रोकने के लिए ये टैंक सड़कों पर उतारे गए। दरअसल यह मामला बैंक ऑफ चाइना की हेनान शाखा से जुड़ा है। हेनान शाखा ने हाल में ऐलान किया कि जमाकर्ताओं द्वारा उनकी शाखा में रखा गया पैसा ‘निवेश’ है और इसे अब वापस नहीं लिया जा सकता है।
हेनान की राजधानी झेंगझाउ में एक विरोध प्रदर्शन के बाद हिंसा भी हुई। अधिकारियों का कहना है कि वे उन जमाकर्ताओं को टुकड़ों में पैसा जारी करना शुरू कर देंगे जिनके फंड कई ग्रामीण बैंकों द्वारा फ्रीज किए गए है। इसके तहत 15 जुलाई को पहली राशि दी जानी थी। हालांकि केवल कुछ मुट्ठी भर जमाकर्ताओं को ही अपने पैसे प्राप्त हुए। ऐसे में ये आशंका भी फैल गई है कि क्या बैंकों के पास कुछ भी पैसे बचे हैं।
बहरहाल, हो रहे प्रदर्शनों के बीच टैकों का उतारा जाना एक बार फिर तियानमेन स्क्वायर नरसंहार की याद दिलाता है। वह घटना 4 जून, 1989 की थी। इस दिन चीनी नेताओं ने टैंकों और भारी हथियारों से लैस सैनिकों को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर को खाली करने के लिए भेजा था, जहां छात्र प्रदर्शनकारी लोकतंत्र और अधिक स्वतंत्रता की मांग के लिए हफ्तों तक जमा हुए थे। इस दमनकारी कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए थे जिसकी दुनियाभर में आज भी निंदा की जाती है।