कानून के राज पर विश्वास बहाली ? -विक्रम बिष्ट

उत्तराखंड
उत्तराखंड में अंकिता हत्याकांड के दोषियों को कठोर दण्ड दिलाने के लिए एसआईटी जुटी है। दूसरी ओर इस सरकारी दावे पर शक करने वालों के तर्कों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अब तक तमाम तरह के सनसनीखेज आपराधिक मामलों में किसी भी रसूखदार आरोपी को सजा नहीं मिली है, यह इस अविश्वास का सबसे बड़ा कारण है।
यूं तो उत्तराखंड निर्माण में ही अन्याय और भेदभाव हुआ है। फिर राजधानी, मूल निवास को लेकर कलह के बीज बोये गये। तरह-2 के घोटाले हवा में उछाले जाते रहे, निष्कर्ष ?
अपराधियों में कानून का खौफ अपराध को रोकने का सबसे कारगर उपाय है। यदि उत्तराखंड के नेताओं ने राज्य आंदोलन के दौरान किए गये अत्याचार के दोषियों को सजा दिलाने की कोशिशें की होतीं तो गुण्डों, बदमाशों को इस तरफ देखने की हिम्मत नहीं होती।
मुजफ्फरनगर काण्ड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। किसको सजा मिली? किसने सजा दिलाने की कोशिश की? जाहिर है शहीद और अपमानित होने वाले प्रत्यक्ष- परोक्ष सत्ताभोग करने वालों के अपने नहीं थे।

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