
उत्तराखंड
उत्तराखंड में हल्द्वानी शहर की वनभूलपुरा बस्ती चर्चा में है। हाई कोर्ट ने इसे रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण माना है। कड़ाके की सर्दियों के बीच 50 से 60 हज़ार की आबादी को हटाने के लिए सात हज़ार पुलिसकर्मियों का इंतज़ाम किया जा चुका है।बीते 28 दिसंबर को प्रशासन और रेलवे की तरफ से अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले पिलर बंदी की गई, तो हज़ारों महिला, बच्चे और बुजुर्ग सड़कों पर उतर आए। पीड़ितों ने सरकार से मांग की है कि कार्रवाई को रोककर हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए।
SC में सुनवाई आज
उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच के सामने एडवोकेट प्रशांत भूषण ने मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 5 हजार घर तोड़े जा चुके हैं। हल्द्वानी के वनभूलपूरा इलाके के सैकड़ों लोग अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे हैं।
हल्द्वानी मामले पर पहली बार बोलीं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उत्तराखण्ड स्टेट के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुःखद. सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना. सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाये, बीएसपी की यह मांग है।
इस बीच हल्द्वानी का वनभूलपुरा रेलवे भूमि प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस सम्बन्ध में प्रभावितों की और से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। इस पर 5 जनवरी को सुनवाई होगी। सोमवार को रेलवे के डीआरएम ने स्थानीय प्रशासन के साथ उस इलाका दौरा किया है । हल्द्वानी की ढोलक बस्ती, बनभूलपुरा आदि स्थानों पर रेलवे की भूमि पर बसे लोगों को हटाने के मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को सोशल मीडिया पर खुला पत्र लिखा है । इसमे पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी इस मामले को लेकर कहा है कि यदि 50 हजार से ज्यादा लोगों को हटाया जाएगा, तो यह लोग कहां जाएंगे। हरीश ने कहा है कि कानूनी पक्ष अपनी जगह सही है, लेकिन मानवीय पक्ष देखते हुए कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए।