
टिहरी
टिहरी गढ़वाल के अखोड़ी गांव में युद्ध कथा पर आधारित हर तीसरे साल आयोजित होने वाला तीन दिन का रणभूत जागर का कार्यक्रम इसी माह जनबरी में किया गया ।
भिलंगना विकासखंड के अखोड़ी गांव का रणभूत जागर ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है। अखोड़ी गांव में सदियों पहले कुमाऊं की ओर से भंडारियों के आक्रमण के दौरान रात के समय सोते हुए नेगी योद्धा धोखे से मारे गए थे । इस आक्रमण में केवल एक महिला जो कि गर्भवती थी, बच पाई थी। आगे चलकर उसी की संतान से नेगी परिवार आगे बढ़ पाए। धोखे से मारे जाने के कारण नेगी योद्धा भूत रूप में पूजे व नचाए जाने लगे। हर तीसरे वर्ष नेगी जाति के परिवार जागर आयोजित करते हैं। प्रख्यात जागरी तीन दिन व तीन रात तक जागर लगाया गया। जागर की खासियत यह है कि इसमें एक साथ ढोल, दमाऊं, डौंर, थाली व नगाड़े की ताल पर नेगी पश्वा नाचते हुए नंगी तलवारों व ढाल के साथ युद्ध कौशल का भी प्रदर्शन करते हैं। आयोजन के दौरान अखोडी गाव के ढोल वादक भरपुरू ओर उनके साथी इस रणभूत कौथिग में अपनी कौशल ढोल वादन कला से सभी को मंत्रमुग्ध करते है ।