
टिहरी
विकास की सुरंग में उत्तराखण्ड !
अगस्त सन् 2000 में दिल्ली ने जब उत्तराखण्ड में राजधर्म निभाने की वजाय मित्र धर्म को थोपने का फैसला किया था, वह इस नवोदित राज्य को यूपी विधानसभा के प्रस्तावों के जरिये अंधी सुरंग में धकेलने की आधिकारिक स्वीकृति ही थी।
उत्तराखण्ड यूपी विधानसभा की सहमति के वगैर भू-कानून में बदलाव नहीं करेगा। यहां की नदियों के लिए गंगा, यमुना, शारदा प्रबंधन बोर्ड बनेगा, जिसमें यूपी, दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्य शामिल होंगे, ( केन्द्र का फैसला किस तरफ होगा, कहने की जरूरत नहीं है।), बिजली परियोजनाओं के स्वामित्व पर पूर्ववर्ती स्थिति रहेगी… और राजधानी के लिए भी यूपी पैसे नहीं देगा। आदि इत्यादि।
हमारे माननीयों ने तब और अब कभी मुहं खोला ? टीएचडीसी एक उदाहरण है। बांझ राजनीति की अंधी खोह से जो निकल रहा है, इससे भी बुरे के लिए तैयार रहें।
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी होने के साथ उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दूरदर्शी प्रणेता भी थे। किन शब्दों में उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करें!