आज का इतिहास: आज ही के दिन 73 साल पहले दुनिया के सामने आई थी डूबे टाइटैनिक की पहली तस्वीर

इतिहास

10 अप्रैल 1912। ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से टाइटैनिक अपने पहले और आखिरी सफर पर निकला। टाइटैनिक के बारे में कहा जाता था कि ये जहाज कभी डूब ही नहीं सकता। उस समय टाइटैनिक भाप से चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था। अपने साथ करीब 2200 लोगों का काफिला लेकर ये जहाज न्यूयॉर्क की तरफ निकला। शुरुआती तीन दिनों का सफर बढ़िया रहा। ये विशाल जहाज समुद्र की लहरों को चीरते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा था, लेकिन 14 अप्रैल की आधी रात उत्तर अटलांटिक महासागर में एक बर्फ की चट्टान से जा टकराया। कभी न डूबने वाला ये जहाज समुद्र की गहराइयों में समा गया और 1500 से ज्यादा लोग मारे गए। टाइटैनिक डूब तो गया, लेकिन समुद्र में उसके मलबे का कोई पता नहीं चला। अलग-अलग टीमें टाइटैनिक के मलबे को तलाश करती रहीं। अमेरिका की एक टीम भी पनडुब्बी के जरिए उसे तलाश रही थी। इस टीम का नेतृत्व कर रहे थे- डॉक्टर रॉबर्ट बलार्ड। इस पनडुब्बी ने 73 साल बाद 1 सितंबर को आखिरकार टाइटैनिक के मलबे को ढूंढ निकाला। आज ही के दिन 1985 में इसके मलबे की पहली तस्वीर दुनिया के सामने आई। टाइटैनिक समुद्र में 13 हजार फीट नीचे पड़ा हुआ था और दो टुकड़ों में टूट गया था।

टाइटेनिक को सुरक्षित और कभी न डूबने वाला जहाज बताया गया था। लेकिन यह डूब गया .1985 में आज ही के दिन 73 साल पहले समुद्र में डूबे जहाज टाइटेनिक की तस्वीरें सामने आईं थीं। 1999 में 4 सितंबर को ही ईस्ट तिमोर में हुए जनमत संग्रह में 78.5 प्रतिशत जनता ने इंडोनेशिया से स्वतंत्रता के पक्ष में अपना मत प्रकट किया था।

1998: गूगल की औपचारिक शुरुआत

किसी जगह का रास्ता ढूंढना हो, खाना ऑर्डर करना हो, गणित के किसी कठिन थ्योरम को समझना हो या पिज्जा बनाने की रेसिपी पता करना हो, इन सब सवालों का जवाब ढूंढने के लिए आप गूगल के पास जरूर जाते होंगे। आज हम गूगल की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज ही के दिन 1998 में गूगल की औपचारिक शुरुआत हुई थी।

फेसबुक की तरह ही गूगल की कहानी भी यूनिवर्सिटी कैंपस से शुरू होती है। 1995 में लैरी पेज स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे। लैरी को यूनिवर्सिटी के आसपास का माहौल दिखाने की जिम्मेदारी मिली सर्गेई ब्रिन को। इन दोनों की जुगलबंदी ने दुनिया को गूगल दिया।

दोनों ने googol नाम से पेज लिस्ट करने के बारे में सोचा, लेकिन स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से Google नाम से डोमेन रजिस्टर हुआ। इस तरह 4 सितंबर 1998 से गूगल इंक की औपचारिक शुरुआत हुई।

शुरुआत में ही दोनों ने 1 मिलियन डॉलर में गूगल को बेचने का फैसला लिया। दोनों अपनी डील लेकर उस समय के चर्चित सर्ज इंजन याहू के पास पहुंचे। याहू ने डील को नकार दिया। 4 साल बाद याहू खुद 3 बिलियन डॉलर में गूगल को खरीदने का प्रस्ताव लेकर आया था।

देश और दुनिया के इतिहास में 4 सितंबर कई कारणों से महत्वपूर्ण है, जिनमें से ये सभी प्रमुख हैं…

1998: लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने मिलकर गूगल को विकसित किया था. आज ही इन दोनों ने कंपनी के रूप में इसे रजिस्ट किया और इसके लिए एक बैंक अकाउंट खोला.

1999: ईस्ट तिमोर में जनमत संग्रह हुआ। 78.5% जनता ने इंडोनेशिया से आजादी मांगी।

1967ः 6.5 तीव्रता वाले भूकंप की चपेट में आया महाराष्ट्र का कोयना बांध, जिसमें 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

1888ः महात्मा गांधी ने इंग्लैंड के लिए समुद्री यात्रा शुरू की।

1665: मुगलों और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच पुरंदर में संधि पर हस्ताक्षर हुए।

1985: 73 सालों के बाद आज ही समुद्र में डूब गए जहाज टाइटेनिक की तस्वीरें सामने आई थीं.

1825: भारत के जाने-माने राजनीतिज्ञ दादा भाई नौरोजी का जन्म हुआ.

1952: भारत के मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर का जन्म हुआ.

2005: लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन करते नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला गिरफ्तार हो गए.

2006: आस्ट्रेलिया के मशहूर टीवी पर्सनैलिटी और पर्यावरणविद स्टीव इरविन का एक समुद्री मछली के काटने से निधन हो गया.

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