नादान की दोस्ती,,,- विक्रम बिष्ट

नादान की दोस्ती,,,
चण्डीगढ़ मेयर का चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा है। चण्डीगढ़ देश के सबसे खूबसूरत और अनुशासित शहरों में एक है। यह आर्थिक रूप से दो समृद्ध राज्यों पंजाब और हरियाणा की राजधानी है। इस साफ- सुथरे केन्द्र शासित शहर (प्रदेश) की चर्चा आज चुनावी धांधली की अभूतपूर्व घटना के कारण हो रही है। देश में चुनाव आयोग जैसी संविधानिक संस्थाओं की गिरती साख की शिकायतों पर यह स्पष्ट ठप्पा जैसा है।
देश के सभी जिम्मेदार लोगों के लिए राजनीतिक दलों और नेताओं से अधिक महत्वपूर्ण हमारा लोकतंत्र और इसकी जीवंत संविधानिक संस्थाएं हैं। सुप्रीम कोर्ट का चण्डीगढ़ प्रकरण के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश है, इसे ग्रहण किया जाना ही श्रेयस्कर है।
राजनीतिक दलों और नेताओं को यह समझना चाहिए कि अविवेकी समर्थकों जिन्हें आजकल अंधभक्त कहा जाता है पर भरोसा आत्मघाती हो सकता है। संत कबीर ने कहा है -निन्दक नियरे राखिए,,, इन्दिरा गांधी ने इसके उलट गलती की थी। छात्रों से शुरू हुए जेपी के समग्र क्रांति आंदोलन से डरी लोह महिला और असम से लाए गए देवकांत बरुआ की अंधभक्ति – इंदिरा ही इण्डिया है, पर मुग्ध नेता का स्वर्णकाल सभी के लिए सबक है। चाहे वे किसी भी रंग- ढंग के हों।

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