भौंकुछ। विक्रम बिष्ट: बेवकूफ बनाने के लिए धन्यवाद!

पांच साल तक बेचारी हूं, लेकिन हमेशा तुम्हारी हूं। तुम्हारे लिए कुंवारी हूं।
चाहे जिस रंग में तुम आओगे, मुझे पूरा विश्वास है। पांच साल पहले भी था, उसके पहले पांच साल,,, और पहले,,,। कितना याद करूं। तुम्हें तो मेरी याद आ ही जाती है, इतना व्यस्त और मस्त-मस्त रहते हुए भी।
तुम कहां- कहां व्यस्त और मस्त रहते हो, भला मैं क्यों परेशान रहूं। पांच साल में ही सही तुमको आना मेरे पास ही है। जो वादा किया निभाना पड़ेगा, मधुर गीत गाते हुए कितने अच्छे लगते हो। वादा तेरा वादा,,, नासपीटे बात-बे-बात तुम्हारी वादाखिलाफी की याद दिलाते रहते हैं।
तुम बेवफा नहीं हो, मुझे पक्का विश्वास है। जितना तुमको अपने वादे और इरादों पर है। वादे पूरे नहीं हुए तो क्या, इरादे तो पूरे कर लिए होंगे, पक्का ! हाय दयां मरि जावां।
मैं तुम्हारी हूं, तुम्हारे लिए कुंवारी हूं। लोग बेवकूफ मानें तो मानें। मैं तुम्हारी हूं,,,हूं,,, हूं,।

Epostlive.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *