
आईजी गढ़वाल ने साइबर अपराध की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने सातों जिलों से आई शिकायतों और उनके सापेक्ष दर्ज होने वाले कम मुकदमों पर नाराजगी जताई है। शिकायतों के सापेक्ष महज सात फीसदी मुकदमे ही दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि दर्ज होने लायक मुकदमे भी दर्ज नहीं हो रहे हैं।
इसके लिए उन्होंने जनपदों में साइबर अपराध के जानकार पुलिसकर्मियों की कमी होने की बात कही। उन्होंने बताया कि सातों जिलों से आई शिकायतों की समीक्षा की गई थी। इसमें पाया गया कि शिकायतों के मुकाबले मुकदमे बेहद कम संख्या में दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2020 में 2091 शिकायतें आईं थीं। इनके सापेक्ष केवल 74 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी में कुल 31 शिकायतें आईं थी, जिनके सापेक्ष एक भी मुकदमा अब तक दर्ज नहीं हुआ है।
इसी तरह सबसे अधिक शिकायतें देहरादून में हैं। यहां अब तक कुल 1115 शिकायतें आईं हैं। इनके मुकाबले केवल 34 शिकायतें ही दर्ज हो पाई हैं। उन्होंने बताया कि साइबर अपराध की शिकायतों में ज्यादातर शिकायतें ऐसी होती हैं जिनका बिना दर्ज किए ही हल किया जाता है।
यानी उनमें फौरी राहत देते हुए या तो पैसे वापस करा दिए जाते हैं या ट्रांजेक्शन रुकवा दी जाती हैं, लेकिन देखने में यह आया है कि बहुत सी शिकायतें ऐसी भी हैं जिनमें मुकदमा दर्ज किया जाना आवश्यक है। बावजूद, इसके मुकदमे दर्ज नहीं किए जा रहे हैं।
कर्मियों के प्रशिक्षण पर देना होगा जोर
इस काम के लिए उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण ध्यान दिए जाने की जरूरत है। फिलहाल प्रदेश में एक ही साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन है। ऐसे में वहां सारे मामलों की जांच किया जाना भी संभव नहीं है। हालांकि, जांच साइबर सेल में भी की जाती है, लेकिन यहां पर बेशक कर्मचारियों की संख्या कम है और प्रशिक्षण की भी बेहद कमी है। ऐसे में जरूरी है कि पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाए।
शिकायतें और दर्ज मुकदमों की संख्या
जनपद – शिकायतें – दर्ज मुकदमे
उत्तरकाशी –31 –00
टिहरी –159 –06
चमोली –46 –06
रुद्रप्रयाग –38 –01
पौड़ी –145 –01
हरिद्वार –557 –25
देहरादून –1115 –34
(ये सभी शिकायतेें वर्ष 2020 की हैं)