

राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों में 57 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने अपनी क्षमता से ज्यादा सीटें जीतकर न केवल विपक्ष को झटका दिया है, बल्कि आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए भी स्थिति मजबूत की है।महाराष्ट्र और कर्नाटक में उसने विपक्षी कमियों को उजागर करते हुए अपना एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार जिताया है, वहीं हरियाणा में कांग्रेस के पास पर्याप्त नंबर होने पर भी उसमें सेंध लगाकर निर्दलीय को जितवा दिया। राजस्थान में पार्टी कांग्रेस का तोड़ नहीं खोज सकी, लेकिन वह सीधे लड़ाई में उतरी भी नहीं।राज्यसभा की 57 सीटों में भाजपा के पास 25 सीटें थी। वह 22 सीटों को फिर से जीतने में सफल रही। एक निर्दलीय को भी शामिल करें तो यह संख्या 23 हो जाती है, जबकि भाजपा व सहयोगी दलों की क्षमता 19 सीटें जीतने की ही थी। ऐसे में चार सीटें अतिरिक्त अपने साथ जोड़ने में सफल रही। इनमें से 41 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन हुआ, जिनमें भाजपा ने अपनी रिक्त हुई 15 सीटों में 14 फिर से जीत ली।चार राज्यों की 16 सीटों के लिए मतदान में भाजपा ने आठ खुद की और एक निर्दलीय को जिताया। उसे अपनी क्षमता से ज्यादा कर्नाटक व महाराष्ट्र में एक सीट ज्यादा मिली, जबकि हरियाणा में कांग्रेस के पर्याप्त नंबर में सेंध लगाकर एक सीट निर्दलीय को भी जितवा दी। राजस्थान में उसने एक अतिरिक्त सीट के लिए निर्दलीय पर दांव लगाया, लेकिन कांग्रेस के कुशल प्रबंधन को भेद नहीं सकी, उलटे उसका एक विधायक भी क्रास वोटिंग कर गया।इससे उच्च सदन में भाजपा की संख्या पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उसके अपने 95 की जगह अब 92 सांसद होंगे। लेकिन, सबसे अहम यह है कि उसने विपक्षी एकता व एजजुटता को ध्वस्त कर दिया। कर्नाटक में भाजपा ने जद (एस) व कांग्रेस को अलग-थलग रखा और महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा की सत्तारूढ़ तिकड़ी भी काम नहीं आई। हरियाणा में तो कांग्रेस के घर में सेंध भी लगा दी। इसका असर आगामी राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ेगा, जिसमें सांसद व विधायक वोट करते हैं।
इन नतीजों से भाजपा में महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और मजबूत हुए हैं। खासकर बोम्मई के लिए यह नतीजे अहम हैं, क्योंकि कर्नाटक में पार्टी के भीतर लगातार उथल-पुथल है। कई बार नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें भी लगने लगती हैं। वहां पर अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। हालांकि, राजस्थान को लेकर भाजपा को मंथन करना पड़ सकता है। वहां पर भी अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।