सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख के हालात,चारों ओर सन्नाटा, चप्पे-चप्पे पर जवानों का पहरा

उत्तराखण्ड

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख के हालात,चारों ओर सन्नाटा, चप्पे-चप्पे पर जवानों का पहरा

लद्दाख में हिंसा के बाद लगातार चौथे दिन भी कर्फ्यू जारी है। चारों ओर सन्नाटा पसरा है और सुरक्षाबल चप्पे-चप्पे पर नजर रख रहे हैं। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के बाद गश्त और जांच तेज कर दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सोनम वांगचुक को गिरफ्तारी के बाद राजस्थान की जोधपुर जेल में भेज दिया गया है।

NSA के तहत सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी

NSA कानून है क्या?

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति से कोई खास खतरा सामने आता है, तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है. सरकार को लगता है कि उस शख्स से देश को खतरा है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून को साल 1980 में देश की सुरक्षा के लिहाज से सरकार को ज्यादा शक्ति देने के मकसद से बनाया गया था. NSA एक्ट सरकार को शक्ति प्रदान देता है कि वह देशहित में किसी शख्स को गिरफ्तार कर सकती है. यह एक्ट किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार सरकार को देता है.

दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें चार लोगों की जान चली गई। हालात पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा। सरकार ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहाराया है। उनके एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद कर दिया गया और एनएसए के तहत उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। तो आइए जानते हैं उनके बारे में…

सोनम वांगचुक कौन हैं?
सोनम वांगचुक लद्दाख के एक जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता होने के साथ ही एक इंजीनियर, शिक्षक भी हैं. उन्होंने NIT श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कना शुरू किया. थ्री ईडियट्स फिल्म भी उनके कारनामों पर ही आधारित है. वांगचुक लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के वरिष्ठ सदस्य भी हैं. LAB कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर पिछले पांच सालों से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य के दर्जे के लिए आंदोलन चला रही है.

प्रकृति से रहा गहरा लगाव
सोनम को प्रकृति और पर्यावरण से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपना घर बनाने के लिए स्थानीय मिट्टी, पत्थर और लकड़ी का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने घर में सोलर हीटिंग सिस्टम और इंसुलेटेड मिट्टी और पत्थर का इस तरह से इस्तेमाल किया है कि माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में भी उनका घर गर्म बना रहता है।

इतना ही नहीं उन्होंने अपने घर बगीचे को छोटे वर्कशॉप, सौर ऊर्जा और वाटर मैनेजमेंट के प्रोजेक्ट को लाइव डेमो के रूप में दिखाने के तौर पर विकसित कर रखा है।

9 भाषाओं के जानकार
सोनम वांगचुक ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि बचपन में उन्हें अन्य भाषाओं की जानकारी नहीं थी और इस कारण से बाद में कई भाषाएं सीखने की ललक लगी और 9 भाषाएं सीख लीं। इन सभी भाषाओं को वो अच्छी तरह से समझ और बोल सकते हैं। सोनम ने विज्ञान और गणित जैसे विषयों को भी लद्दाखी भाषा में पढ़ाने की मुहिम भी शुरू की।

सोनम वांगचुक की मांग?
पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका अहम रही है. उनके इसी कार्य ने उनको वैश्विक मंचों पर पहचान दिलाई. वह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को अंतररराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाते रहे हैं. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और उसे छठी अनुसूची में शामिल करने वाली मांग को लेकर वह कई बार अनशन कर चुके हैं. वह हमेशा यह कहते रहे हैं कि उनका ये संघर्ष लद्दाख की सांस्कृतिक पहचान और पर्यावरण को सहेजने के लिए है. वह लद्दाख को आत्मनिर्भर बनाने की बात कहते रहे हैं.

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