खबरें जनपद से विदेश तक। 22 अक्टूबर 21

आज की सुर्खियां

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राज्य से विदेश तक। 19 अक्टूबर।

आज की सुर्खियां।

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उत्तराखंड की अंडर 19 महिला क्रिकेट टीम ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए रचा इतिहास ।

उत्तराखंड क्रिकेट जगत का आज सबसे यादगार दिन हो गया है। बीसीसीआई द्वारा आयोजित अंडर-19 महिला वनडे क्रिकेट टूर्नामेंट में आज का फाइनल उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के बीच खेला…

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पद्मश्री प्रीतम भरतवाण इंटरनेशनल जागर ढोल सागर अकादमी का उद्घाटन किया मुख्यमंत्री ने।

देहरादून-  सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रविवार (आज) नालापानी चौक में प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर इंटर नेशनल अकादमी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अकादमी को 10…

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खतलिंग पर्यटन विकास मेला, घुत्तू। मिला राजकीय मेला का दर्जा।

मुख्य अतिथि सतपाल महाराज ने की ने कई घोषणाएं। घनसाली- प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने शनिवार को खतलिंग पर्यटन विकास मेले…

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संस्कृति- लोक कलाकारों को संस्कृति विभाग की ओर से मिलेगी पहचान-सतपाल महाराज।

प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री  सतपाल महाराज ने लोक कलाकारों की पहचान के लिए पहचान पत्र दिलाने के साथ साथ कई अन्यमहत्वपूर्ण घोषणायें की हैं। पौड़ी में प्रसिद्ध…

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खबरें राज्य से विदेश तक 14 अक्टूबर 21

टिहरी – स्वच्छता व लाइसेंस न होने पर कटा चालान। त्योहारी सीजन के दौरान खाद्य पदार्थों में मिलावट होने की आशंका को देखते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग ने चेकिंग अभियान…

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आंगनवाड़ी बहनों को मुख्यमंत्री धामी की सौगात।

देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय से आंगनवाड़ी कर्मियों को प्रदान की जा रही प्रोत्साहन राशि का डीबीटी के माध्यम से शुभारम्भ किया। इससे 33297 आंगनवाड़ी कर्मियों के…

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शहीद विपिन को दी सी एम ने श्रधांजलि। सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार ।

सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार ।

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टेस्ट ट्यूव बेबी (आईवीएफ) सुविधा अब एम्स ऋषिकेश में शुरू, संतान से बंचित लोगों को मिलेगा लाभ।

ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश में अब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर (आईवीएफ) सुविधा शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में इस नई उपलब्धि के शुरू होने से उन परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा, जिन दंपतियों के शारीरिक कमी की वजह से बच्चे नहीं हो पाते हैं। इस सुविधा के शुरू होने से अब बांझपन का दंश झेल रहे लोगों की समस्या का समाधान हो सकेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड में एम्स, ऋषिकेश पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान बन गया है जहां यह सुविधा शुरू की गई है।
गौरतलब है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक सहायक प्रजनन तकनीक है, जहां भ्रूण के उत्पादन के लिए एक प्रयोगशाला में एक अंडे को शुक्राणु के साथ जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया में एक महिला रोगी के अंडाशय को हार्माेनल दवाओं के साथ उत्तेजित करना, अंडाशय (डिंब पिकअप) से अंडों को निकालना और शुक्राणु को एक प्रयोगशाला में एक विशेष तकनीक के माध्यम से उन्हें निषेचित करना शामिल है। निषेचित अंडे (जाइगोट) के 2 से 5 दिनों के लिए भ्रूण संवर्धन से गुजरने के बाद, इसे एक सफल गर्भावस्था की स्थापना के लिए उसी या किसी अन्य महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इस तकनीक का उपयोग महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों (ट्यूबल क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, खराब डिम्बग्रंथि रिजर्व, पीसीओएस आदि) या पुरुष कारक (असामान्य वीर्य पैरामीटर आदि) या दोनों वाले जोड़ों में किया जाता है।
एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर अरविंद रघुवंशी ने संस्थान के गायनी विभाग में आईवीएफ सेंटर का विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में कई दंपति बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। जो महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रसित हैं, उन्हें सामाजिक कलंक, वर्जना और मानसिक प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में आईवीएफ केंद्र खुलने से उत्तराखंड और आसपास के शहरों में रहने वाले ऐसे सभी लोगों को लाभ मिल सकेगा जो संतान सुख से वंचित हैं और इस सुविधा से माता-पिता का सुख प्राप्त करना चाहते हैं।
डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि इस सुविधा को शुरू करने वाला एम्स अस्पताल स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य का पहला सरकारी संस्थान है। उन्होंने कहा कि क्योंकि अभी तक यह बेहद जटिल और महंगा इलाज हुआ करता था, इसलिए अब एम्स ऋषिकेश में शुरू की गई इस सुविधा से मध्यम वर्ग के दंपति भी अपना उपचार करा सकेंगे।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आज के दौर में ऐसे मेरीड कपल्स की संख्या ज्यादा बढ़ रही है जिनकी अपनी कोई संतान नहीं है। इस सुविधा से पुरुष बांझपन और महिला बांझपन दोनों की समस्याओं का निदान संभव है।
प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख तथा एम्स के आईवीएफ केंद्र की प्रभारी प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने इस बाबत बताया कि गायनी विभाग पिछले 4 वर्षों से बांझपन वाले जोड़ों का प्रबंधन कर रहा है। इसमें बांझ दंपति का काम, ओव्यूलेशन इंडक्शन, फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग, बांझपन के लिए लेप्रोस्कोपिक और हिस्टेरोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह विभाग इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन के अनुसार 45 वर्ष तक की महिलाओं और 50 वर्ष तक के पुरुषों के लिए यह सुविधा प्रदान करेगा।
आईवीएफ केन्द्र की नोडल अधिकारी डॉ.लतिका चावला ने केन्द्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में कहा कि आईवीएफ केंद्र में पुरूष शुक्राणुओं की जांच हेतु एंड्रोलॉजी लैब ने कार्य करना शुरू कर दिया है और केन्द्र में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आईयूआई) की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा इस केन्द्र में आईवीएफ प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में एम्स ऋषिकेश संतान से वंचित ऐसे माता-पिता का भी इलाज करेगा, जिनके शरीर में अण्डाणु या शुक्राणु नहीं बनते और जिन्हें स्पर्मदाता की आवश्यकता होती है।
कार्यक्रम के दौरान अस्पताल प्रशासन के प्रोफेसर यूबी मिश्रा, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, गायनी विभाग की प्रोफेसर शालिनी राजाराम, डॉ. अनुपमा बहादुर, डॉ. कविता खोईवाल,डॉ. अमृता गौरव सहित कई अन्य मौजूद थे।

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