
टिहरी
शहीद श्रीदेव सुमन को नमन!
“यदि गंगा हमारी माता होकर भी हमें आपस में मिलाने की बजाय दो हिस्सों में बांटती है तो हम गंगा को भी पाट देंगे।”
ईश्वरीय विधान की आड़ में चलने वाली लुटेरी सामंती व्यवस्था को ऐसी चुनौती ,कोई सुमन ही पैदा कर सकता है जो जन्मा खिला ही भेदभाव, शोषण, गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए हो। महज 22 वर्ष की आयु में श्रीदेव सुमन की यह समझ और कहने का साहस आज उत्तराखण्ड के चाहे किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे हों, कहीं सुनाई दे रहा है ?
अपने-अपने खतड़ुओं के सहारे समाज को बांटे रख वैतरणी पार करने की हास्यास्पद प्रतिस्पर्धा में शहीदों को थोड़ी- सी भावुकता के साथ याद करने की रस्म अदायगी भी तो परम्परा है !
जलमग्न टिहरी के आजाद मैदान शहीद स्मारक का चित्र- भाई दिवाकर भट्ट जी (टिहरी) के सौजन्य से मौलिक त्रहरि को।