
उत्तराखंड
उत्तराखंड आंदोलन: 30 साल पहले हुए रामपुर तिराहा कांड पर अब मिला इंसाफ, 2 दोषियों को उम्रकैद
मुजफ्फरनगर कोर्ट ने 2 अक्टूबर 1994 रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को 30 साल बाद आख़िरकार सजा सुना दी है। 3 दशक बीत जाने की बाद कोर्ट ने दरिंदगी करने वाले दो पुलिस कर्मियों सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साथ ही 50-50 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया। जख्मों की भरपाई करना तो मुश्किल है लेकिन कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखंड वासियों के जख्मों पर कुछ तो मरहम लगा है।
अदालत ने दिनांक 15.03.2024 को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं 509 के तहत दोषी ठहराया और सजा पर सुनवाई हेतु दिनांक 18.03.2024 की तिथि तय की गई। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की पूर्ण राशि पीड़िता को दी जाएगी।
क्या हुआ था रामपुर तिराहे पर उस दिन ?
उत्तराखंड राज्य की माँग के लिए लम्बे समय से आंदोलन चल रहे थे। 1 अक्टूबर 1994 को इस आंदोलन ने एक बड़ा रूप ले लिया। इस दिन काफी संख्या में राज्य आंदोलनकारी इस रैली में शामिल हुए और बसों में भरकर पहाड़ी क्षेत्रों से दिल्ली की तरफ कूच करने निकल पड़े। उस समय उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने आन्दोलन को दबाने की भरपूर कोशिश की।
उत्तरप्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश से राज्य आंदोलनकारियों को मुजफ्फनगर के रामपुर तिराहे पर रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन आंदोलनकारी अपनी जिद पर अड़े रहे और दिल्ली जाने के लिए जिद में आंदोलन ने रात्रि 3 बजे उग्र रूप ले लिया और स्थिति तनावपूर्ण बन गई। इसके बाद यूपी पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। यहां तक कि पुलिसकर्मियों ने निहत्थे आन्दोलनकारियों पर फायरिंग की गई और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इसके बाद सात उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
महिलाओं से की गई थी बदसलूकी
यह भी आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने दर्जनभर महिलाओं के साथ रेप, छेड़छाड़ और डकैती भी की, जिसके कई मामले दर्ज किए गए। 345 रैलीकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जिसमें से 47 महिलाएं थीं।
कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा “इस फैसले के आने से लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों एवं उनके परिवारजनों को बड़ी राहत मिली है। हमारी सरकार पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ राज्य आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण करने हेतु कार्य कर रही है।”