काली ‘करतूतों का अड्डा बने देहरादून के नशा मुक्ति केंद्र, सिद्धू तड़पता रहा, वो मारते रहे डंडे और फिर..

उत्तराखंड

देहरादून में 11 अप्रैल को नशा मुक्ति केंद्र में जिस तरह से सिद्धू की मौत के बाद सवाल खड़े हुए हैं, उसके बाद पुलिस लगातार राजधानी देहरादून के नशा मुक्ति केंद्रों पर एक बार फिर से नजर रख रही है. पुलिस तमाम नशा मुक्ति केंद्रों के रिकॉर्ड खंगाल रही है. यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी नशा मुक्ति केंद्र से इस तरह की खबर आई हो. इससे पहले भी तमाम अनियमितताएं, मारपीट और दूसरी घटनाओं के बाद देहरादून और आसपास के नशा मुक्ति केंद्र सवालों के घेरे में रहे हैं. मंगलवार को हुई इस घटना के बाद एक बार फिर से सिस्टम पर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिरकार किस मानक और किस आधार पर यह नशा मुक्ति केंद्र इतनी मनमानी कर रहे हैं.

बता दें कि कि टर्नर रोड निवासी 22 वर्षीय सिद्धू की चंद्रबनी स्थित न्यू आराध्या नशा मुक्ति केंद्र में हत्या कर दी गई थी। वहां का स्टाफ सिद्धू के शव को उसके घर के दरवाजे पर फेंककर भाग गया था। परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा किया और करीब दो घंटे टर्नर रोड जाम कर दी।इसके बाद सिद्धू के भाई की तहरीर पर नशा मुक्ति केंद्र संचालक प्रशांत जुयाल समेत चार के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छुपाने, एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मुकदमे की विवेचना सीओ सदर पंकज गैरोला को सौंपी गई है।

एसपी सिटी सरिता डोबाल ने बताया कि जांच के दौरान पहले नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती सभी मरीजों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जा सकती है।  डॉक्टरों के पैनल ने उसका पोस्टमार्टम किया था। पोस्टमार्टम में उसके शरीर पर चोट के 10 से ज्यादा निशान आए हैं। लेकिन मौत का कारण स्प्ष्ट नहीं हुआ।

बता दें कि यहां मरीजों को जिन कमरों में रखा जाता है उन पर बड़े-बड़े ताले लटके हुए हैं। यहां खतरनाक किस्म के चार कुत्तों का पहरा भी बैठाया गया है। अंदर लोगों को भ्रमित करने के लिए बहुत से सर्टिफिकेट और स्टांप पेपर भी दीवार पर लगाए गए हैं।

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