
उत्तराखंड
15 डिग्री के पारे के बीच सोनम वांगचुक क्यों बैठे हैं आमरण अनशन पर , जाने…
सोनम वांगचुक ने यहां प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता कर लद्दाख के हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित करने पर वहां के लोगों में बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन अब यह दु:स्वप्न की तरह हो गया है। पिघलते ग्लेशियर, संस्कृति और युवाओं के लिए रोजगार की मांग का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
लेह। माइनस 15 डिग्री तापमान के बीच पर्यावरणविद् इनोवेटर और इंजीनियर सोनम वांगचुक का आमरण अनशन
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की छठी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर वांगचुक ने छह मार्च से आमरण अनशन शुरू किया है। खुले आसमान तले माइनस 15 डिग्री में 110 लोगों के साथ वह अनशन पर बैठे हैं। लद्दाख पर्यावरण और संस्कृति के बचाव के लिए संघर्ष किया जा रहा है। वांगचुक को लद्दाख के अलग-अलग हिस्सों समेत देश भर के लोगों का समर्थन मिल रहा है।
वांगचुक ने कहा कि भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में लद्दाख को संविधान की छठी सूची में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। छठी अनुसूची महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यों को विशेष प्रशासनिक शक्तियां देती है। इसका कार्यान्वयन और लद्दाख को राज्य का दर्जा इसकी पारिस्थितिकी, पर्यावरण और स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
गृह मंत्रालय की तरफ से लद्दाख के मुद्दों को लेकर बनाई गई सब कमेटी की बैठक पांच मार्च को बेनतीजा रहने के बाद से सोमन वांगचुक ने अनशन शुरू किया है। सब कमेटी में शामिल लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के सदस्यों ने मीटिंग के बाद गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात भी की, लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुए। सूत्रों के अनुसार, पांच मार्च को हुई बैठक में छठे शेड्यूल से संबंधित मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कानूनी विशेषज्ञों के हवाले से स्पष्ट किया कि उनकी मांगों पर क्रियान्वयन में दो से तीन महीने का वक्त लगेगा। लेकिन लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधि इसे फौरन अमल में लाने पर जोर दे रहे हैं।
लद्दाख को लेकर क्या है मांग?
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज दिए जाने की मांग हो रही है. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद से ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है. इसके अलावा संविधान की 6वीं अनुसूची को लागू करने की मांग हो रही है. इसके साथ ही PSC और नौकरी में आरक्षण समेत की अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के कई लोगों का आरोप है कि अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से किसी भी मांग के पूरा करने को लेकर गंभीरता से कोई पहल नहीं की गई.
छठी अनुसूची में लद्दाख: स्थानीय मांगों को मानना
में राज्य का दर्जा और संविधान में अपनी पहचान बनाए रखने को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि लद्दाख का राज्य का दर्जा पुनर्बहाल किया जाए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में लद्दाख को विधानसभा-रहित केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। उनकी यह भी मांग है कि लद्दाख को 6वीं अनुसूची के तहत एक जनजातीय क्षेत्र के रूप में मान्यता दी जाए, साथ ही लेह और कारगिल दोनों ज़िलों के लिये संसदीय सीट स्थापित की जाए तथा स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण दिया जाए।
सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण: छठी अनुसूची में शामिल होने से लद्दाख की अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक रीति-रिवाजों की रक्षा के लिये कानूनी सुरक्षा उपाय उपलब्ध होंगे। छठी अनुसूची जनजातीय समुदायों को शासन में कुछ हद तक स्वायत्तता प्रदान करती है, जिससे वे अपने कार्यों एवं संसाधनों का प्रबंधन स्वयं करने में सक्षम होते हैं।
स्रोत सोशल मीडिया