
साहित्यकार बल्लभ डोभाल की कहानी पर बनी शॉर्ट फिल्म बोल दियाँ उँमा को चौथे मल्टीकल्चरल फ़िल्म फेस्टिवल में शॉर्ट लिस्ट की गई है। फ़िल्म में नरेंद्र सिंह नेगी की पुत्रवधू अंजली नेगी ने अहम भूमिका निभाई है।

पहाड़े की खैरी, पलायन कु दर्द, अपणों की जग्वाल। रोजगार की तलाश में पहाड़ के युवा घर-बार छोड़कर शहरों में चले जाते हैं और पीछे रह जाते हैं उनके बच्चे, घर-परिवार। जिनके लिए जिंदगी हर गुजरते दिन के साथ मुश्किल होती जाती है। न जाने हम किस सुख के पीछे भाग रहे हैं। इस सुख को पाने के लिए पूरी जिंदगी खप जाती है। हम बच्चों के साथ उनका बचपन नहीं जी पाते, जीवनसाथी संग शांति के दो पल नहीं बिता पाते। रोजगार-पैसा जरूरी है, लेकिन किस कीमत पर? गढ़वाली शॉर्ट फिल्म ‘बोल दियां ऊंमा’ ऐसे ही कुछ सवाल उठाती है। पलायन और गांव की महिलाओं की पीड़ा पर बनी ये शानदार फिल्म आपको भीतर तक झकझोर कर रख देगी। एक जगह फिल्म का नायक कहता है ‘आज मेरी छुट्टी का आखिरी दिन है, और आखिरी बस भी छूटने वाली है।। गांव वालों के पास कितना कुछ होता है परदेश में रह रहे अपनों को देने के लिए। लेकिन इनके परिवार वाले सालों तक दिल्ली में रहकर भी इनके लिए कुछ नहीं भेज पाते’।
साहित्यकार बल्लभ डोभाल की कहानी में दिखाए गए पहाड़ की महिला का दर्द अंदर तक झकझोरने को मजबूर कर देता है।