
भाजपा की गर्वोक्ति – अटल जी ने दिया है और मोदी जी संवारेंगे- को मान लें तो उत्तराखण्ड आंदोलन के इतिहास की बात करना बेमतलब है। लेकिन भाजपा के नेता राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने मसूरी, खटीमा और रामपुर तिराहे जाते हैं!
शहीदों के सपनों को साकार करने का संकल्प लेते हैं। सच क्या है!
उत्तराखंड राज्य निर्माण के विरोधी और इसकी पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जी ने राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण करने का फैसला लिया था। मकसद क्या था? सिर्फ १९९४ का आंदोलन, और उसको महज कुछ लोगों का आंदोलन साबित करके इतिहास को बदरंग करना। अपने लोगों को येन केन प्रकारेण लाभान्वित करना।
बहरहाल हमारी जानकारी में उत्तराखंड राज्य पीढ़ियों के अनथक संघर्ष की देन है। अनगिनत लोगों ने अपने-अपने स्तर पर त्याग, तपस्या की है।
सरकार ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की स्थगित प्रक्रिया को पुनः शुरू किया है। परिणाम जल्दी सामने आयेंगे।
१९९४ में कौन राज्य आंदोलनकारी नहीं था इसकी पहचान ज्यादा आसान होती। बहरहाल हम आंदोलन की सरसरी जानकारी याद करने की कोशिशें करते हैं।