टिहरी। टिहरी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौकै पर विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। यंहा जिला मुख्यालय स्थित बहुद्देशीय भवन में भी महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका शुभारंभ जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने जनपद की उन महिलाओं को सम्मानित किया जिन्होंने विषम परिस्थितियों से लड़कर अपने परिवार का पालन पोषण किया, साथ ही गांव समाज के लिए प्रेरणा और मिसाल पेश की है। इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि इन मेहनतकश महिलाओं को सम्मानित करने में उन्हे भी गर्व हो रहा है। कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट ने कहा कि एक परिवार, गांव व समाज महिलाओं के बगैर अधूरा है। उन्होंने कहा कि आज उन महिलाओं को भी याद करने का दिन है जो ग्लैमर से दूर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर समाज को मजबूत करने का कार्य कर रही है। उन्होंने अपने आस-पड़ोस में ऐसी महिलाओं की हर संभव मदद करने के साथ जीवन मे संघर्षो से लड़ने की प्रेरणा लेने की बात कही। एसएसपी ने कहा कि एक महिला अगर अपनी जिम्मेदारी को समझे तो वो घर-परिवार के साथ-साथ समाज को बदलने की भी ताकत रखती है। इस मौके पर महिलाओं विभिन्न वेश-भूषा में थी।
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धधक रहे हैं रूद्रप्रयाग के जंगल, चारों ओर धुंआ ही धुंआ, जखोली रैंज के जंगल आग की चपेट में
रुद्रप्रयाग। एक ओर जहां हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है, वहीं निचले क्षेत्रों में जंगल धूं धूं कर जल रहे हैं। दिन हो या रात, जंगलों में आग जारी ही। आग लगने के बाद जंगल सूखे नजर आ रहे हैं। जंगलों में लगी आग के कारण चारों ओर धुंआ फैल गया है। ऐसे में आम जनता की भी दिक्कतें बढ़ गई हैं।
रुद्रप्रयाग के जंगल एक बार फिर से आग की चपेट में आ गए हैं। जखोली रेंज के जंगल दो दिनों से जल रहे हैं। वैसे तो यह समय जंगलों में आग का नहीं, लेकिन बावजूद रुद्रप्रयाग के जंगल आग की चपेट में हैं। जंगलों में लगी आग के कारण चारो ओर धुआं फैला हुआ है। आग के कारण पेड भी जलकर सड़क पर गिर रहे हैं। ऐसे में यातायात भी प्रभावित हो रहा है। जंगलों में लगी आग से सड़क किनारे विद्युत लाइने भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। जंगलों से पत्थर सड़क पर गिर रहे हैं। ऐसे में सड़क पर चलने वाहनों और पैदल चलने वाले लोगों को भी खतरा बना हुआ है।
जखोली रेंज कार्यालय से मात्र दो सौ मीटर दूर के जंगल दो दिनों से धूं-धूं कर चल रहे हैं। जंगलों में लगी आग इतनी भयावह है कि बड़े-बड़े पेड़ धराशाई हो रहे हैं और विद्युत लाइने भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इसके अलावा प्राकृतिक वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है। जंगलों में लगी आग के बाद जंगली जानवरों ने आबादी वाले क्षेत्रों का रूख कर दिया है। जखोली रेंज कार्यालय के निकट लगी आग पर दो दिन बाद भी काबू नहीं पाया गया है।
सड़क सुरक्षा को लेकर डीएम ने बैठक, कहा सम्बन्धित अधिकारियों की होगी जबाबदेही, अनुपस्थित अधिकारियों से स्पष्टीकरण किया तलब, वाहन चालकों के लिये शिविर लगाने के दिये निर्देश
नई टिहरी :-जिलाधिकारी युवा सी श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जिला कार्यालय सभागार में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक संपन्न हुई। जिलाधिकारी ने बैठक में अनुपस्थित अधिकारियों अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर राष्ट्रीय राजमार्ग डिवीजन डोईवाला का स्पष्टीकरण तलब करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा बहुत ही संवेदनशील विषय है इसमें किसी भी लापरवाही पर संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी। जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के भागीरथीपुरम स्थित जीरो ब्रिज पर दुर्घटना संभावित मोटर मार्ग पर सुरक्षा पैरापिट/क्रैश बैरियर लगवाने हेतु टीएचडीसी के अधिकारियों को निर्देश दिए है। इस कार्य हेतु राष्ट्रीय राजमार्ग डिविजन श्रीनगर टीएचडीसी को तकनीकी सहायता देगा। इसके अलावा मोरियाना-नगुण, नई टिहरी-घनसाली, नरेंद्रनगर-रानी पोखरी मोटर मार्ग पर क्रेश बैरियर, चम्बा-मसूरी के बीच दो तीव्र मोड़ो पर मिरर प्राथमिकता के आधार पर लगवाने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि क्रैश बैरियर सुरक्षा/ पैराफिट इत्यादि स्थापित करने में किसी भी प्रकार की कोताही न बरती जाए। सड़क सुरक्षा संबंधित कार्यों के लिए धनराशि उपलब्ध होने तक अस्थाई/वैकल्पिक रूप से कार्य करवाए जाएं।जिलाधिकारी ने जनपद के सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि फील्ड विजिट के दौरान किसी भी मोटर मार्ग पर यदि दुर्घटना संभावित स्पॉट पाया जाता है तो इसकी सूचना सड़क सुरक्षा समिति को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराएं। जिलाधिकारी ने परिवहन विभाग द्वारा मोटर वाहन अधिनियम के तहत धीमी कार्यवाही पर गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए आगामी 3 माह में प्रगति लाने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने कॉमर्शियल वाहनों सहित वाहन चालकों की फिटनेस हेतु 3 माह के भीतर विकासखंड स्तर पर 3 शिविरों के आयोजन के निर्देश दिए हैं जिसमें संबंधित उप जिलाधिकारी, एआरटीओ, आँख रोग विशेषज्ञ, पुलिस एवं सड़क निर्माण से जुड़े अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान वीडियो के माध्यम से जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में एडीएम शिवचरण द्विवेदी, सीओ धन सिंह तोमर एआरटीओ एनके ओझा, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक एसएस बिष्ट, डॉक्टर एलडी सेमवाल के अलावा लोक निर्माण विभाग, पीएमजीएसवा, राष्ट्रीय राजमार्ग बड़कोट राष्ट्रीय राजमार्ग श्रीनगर एवं बीआरओ के अधिकारी भी उपस्थित थे।
जिसने भी लिखा ठीक लिखा, इनको करोड़ों क्यों दिये जाते हैं, देश के राष्टपति , वैज्ञाानिकों को कम और इनको करोड़ों, बात कुछ हजम नही होती
एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि
ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़
या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं?
सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद यह चर्चा चली थी कि
जब वह इंजीनियरिंग का टॉपर था तो फिर उसने फिल्म का क्षेत्र क्यों चुना?
जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो,
जिस देश के राष्ट्रपति की कमाई प्रतिवर्ष
1 करोड़ से कम ही हो-
उस देश में एक फिल्म अभिनेता प्रतिवर्ष
10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए तक कमा लेता है। आखिर ऐसा क्या करता है वह?
देश के विकास में क्या योगदान है इन भड़वों का? आखिर वह ऐसा क्या करता है कि वह मात्र एक वर्ष में इतना कमा लेता है जितना देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक को शायद 100 वर्ष लग जाएं?
आज जिन तीन क्षेत्रों ने देश की नई पीढ़ी को मोह रखा है, वह है – सिनेमा , क्रिकेट और राजनीति।
इन तीनों क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सभी सीमाओं के पार है।
यही तीनों क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं,
जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं। स्मरणीय है कि विश्वसनीयता के अभाव में चीजें प्रासंगिक नहीं रहतीं और जब चीजें
महँगी हों, अविश्वसनीय हों, अप्रासंगिक हों –
तो वह देश और समाज के लिए व्यर्थ ही है,
कई बार तो आत्मघाती भी।
सोंचिए कि यदि सुशांत या ऐसे कोई अन्य
युवक या युवती आज इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं तो क्या यह बिल्कुल अस्वाभाविक है?
मेरे विचार से तो नहीं।
कोई भी सामान्य व्यक्ति धन , लोकप्रियता और चकाचौंध से प्रभावित हो ही जाता है ।
बॉलीवुड में ड्रग्स या वेश्यावृत्ति,
क्रिकेट में मैच फिक्सिंग,
राजनीति में गुंडागर्दी –
इन सबके पीछे मुख्य कारक धन ही है
और यह धन उन तक हम ही पहुँचाते हैं।
हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं। मूर्खता की पराकाष्ठा है यह।
*70-80 वर्ष पहले तक प्रसिद्ध अभिनेताओं को
सामान्य वेतन मिला करता था।
*30-40 वर्ष पहले तक क्रिकेटरों की कमाई भी
कोई खास नहीं थी।
*30-40 वर्ष पहले तक राजनीति भी इतनी पंकिल नहीं थी। धीरे-धीरे ये हमें लूटने लगे
और हम शौक से खुशी-खुशी लुटते रहे।
हम इन माफियाओं के चंगुल में फँस कर हम
अपने बच्चों का, अपने देश का भविष्य को
बर्बाद करते रहे।
50 वर्ष पहले तक फिल्में इतनी अश्लील और फूहड़ नहीं बनती थीं। क्रिकेटर और नेता इतने अहंकारी नहीं थे – आज तो ये हमारे भगवान बने बैठे हैं।
अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने की – ताकि इन्हें अपनी हैसियत पता चल सके।
एक बार वियतनाम के राष्ट्रपति
हो-ची-मिन्ह भारत आए थे।
भारतीय मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने पूछा –
” आपलोग क्या करते हैं ?”
इनलोगों ने कहा – ” हमलोग राजनीति करते हैं ।”
वे समझ नहीं सके इस उत्तर को।
उन्होंने दुबारा पूछा-
“मेरा मतलब, आपका पेशा क्या है?”
इनलोगों ने कहा – “राजनीति ही हमारा पेशा है।”
हो-ची मिन्ह तनिक झुंझलाए, बोला –
“शायद आपलोग मेरा मतलब नहीं समझ रहे।
राजनीति तो मैं भी करता हूँ ;
लेकिन पेशे से मैं किसान हूँ ,
खेती करता हूँ।
खेती से मेरी आजीविका चलती है।
सुबह-शाम मैं अपने खेतों में काम करता हूँ।
दिन में राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए
अपना दायित्व निभाता हूँ ।”
भारतीय प्रतिनिधिमंडल निरुत्तर हो गया
कोई जबाब नहीं था उनके पास।
जब हो-ची-मिन्ह ने दुबारा वही वही बातें पूछी तो प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने झेंपते हुए कहा – “राजनीति करना ही हम सबों का पेशा है।”
स्पष्ट है कि भारतीय नेताओं के पास इसका कोई उत्तर ही न था। बाद में एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका राजनीति से चलती थी। आज यह संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है।
कुछ महीनों पहले ही जब कोरोना से यूरोप तबाह हो रहा था , डाक्टरों को लगातार कई महीनों से थोड़ा भी अवकाश नहीं मिल रहा था ,
तब पुर्तगाल की एक डॉक्टरनी ने खीजकर कहा था –
“रोनाल्डो के पास जाओ न ,
जिसे तुम करोड़ों डॉलर देते हो।
मैं तो कुछ हजार डॉलर ही पाती हूँ।”
मेरा दृढ़ विचार है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श वैज्ञानिक , शोधार्थी , शिक्षाशास्त्री आदि न होकर अभिनेता, राजनेता और खिलाड़ी होंगे , उनकी स्वयं की आर्थिक उन्नति भले ही हो जाए ,
देश की उन्नत्ति कभी नहीं होगी। सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक रूप से देश पिछड़ा ही रहेगा हमेशा। ऐसे देश की एकता और अखंडता हमेशा खतरे में रहेगी।
जिस देश में अनावश्यक और अप्रासंगिक क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ता रहेगा, वह देश दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा।
देश में भ्रष्टाचारी व देशद्रोहियों की संख्या बढ़ती रहेगी, ईमानदार लोग हाशिये पर चले जाएँगे व राष्ट्रवादी लोग कठिन जीवन जीने को विवश होंगे।
सभी क्षेत्रों में कुछ अच्छे व्यक्ति भी होते हैं।
उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय रहेगा ।
आवश्यकता है हम प्रतिभाशाली,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, समाजसेवी, जुझारू, देशभक्त, राष्ट्रवादी, वीर लोगों को अपना आदर्श बनाएं।
नाचने-गानेवाले, ड्रगिस्ट, लम्पट, गुंडे-मवाली, भाई-भतीजा-जातिवाद और दुष्ट देशद्रोहियों को जलील करने और सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से बॉयकॉट करने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी हमें।
यदि हम ऐसा कर सकें तो ठीक, अन्यथा देश की अधोगति भी तय है