योग
ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ा हुआ रहना कई अंगों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है।डायबिटीज की स्थिति शरीर में कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है।यही कारण है कि मधुमेह वाले लोगों को समय के साथ कम दिखाई देने, पाचन और किडनी की समस्याएं होने लगती हैं। डायबिटीज की गंभीर स्थितियों में तंत्रिकाओं को भी क्षति होने का खतरा रहता है, इसे डायबिटिक न्यूरोपैथी के रूप में जाना जाता है। यह समस्या पैरों में दर्द और उनके अक्सर सुन्न हो जाने जैसे लक्षणों के साथ पाचन-पेशाब संबंधी और दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है।
योग को दिनचर्या में शामिल करना इसमें अच्छा विकल्प माना जाता है। योगासन तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। आइए जानते हैं किन योगासनों की मदद से डायबिटिक न्यूरोपैथी के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है? डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि ब्लड शुगर (Blood Sugar) को कंट्रोल किया जाए. आज के समय में योगासन का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है.हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि कुछ योगासनों को करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है. तो आइए जानते हैं उन योगासनों के बारे में.
प्राणायाम आसनों से मिलता है लाभ
दिनचर्या में प्राणायाम जैसे कपालभाति, अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, भ्रामरी, उज्जयी आदि के अभ्यास को शामिल करके संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है। ये अभ्यास नसों को मजबूती देने के साथ रक्त के परिसंचरण को बेहतर बनाए रखने में आपके लिए मददगार हो सकते हैं। प्राणायाम को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। यह न सिर्फ डायबिटिक न्यूरोपैथी के जोखिमों को कम करने में सहायक है, साथ ही मधुमेह को कंट्रोल में रखने में भी इससे लाभ पाया जा सकता है।

बालासन योग का करें अभ्यास
बालासन जिसे चाइल्ड पोज के रूप में भी जाना जाता है, इसके अभ्यास की आदत शारीरिक समस्याओं को दूर करने में काफी फायदेमंद हो सकती है। बालासन योग तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित जटिलताओं से बचाने में फायदेमंद हो सकती है। पीठ, गर्दन और कंधों के तनाव को दूर करने में भी इस योग के अभ्यास से लाभ पाया जा सकता है। यह आसन मानसिक स्वास्थ्य लाभ में भी मददगार है।

विपरीतकरणी योग के फायदे
विपरीतकरणी योग का अभ्यास संपूर्ण शरीर, विशेषरूप से मस्तिष्क में रक्त के संचार को ठीक रखने में आपके लिए बहुत मददगार है। इससे तंत्रिताओं को भी स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। पीठ के निचले हिस्से और पैरों में दर्द-झुनझुनी जैसी दिक्कतों को कम करने में भी इस योग से लाभ पाया जा सकता है। तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने से कई और प्रकार के गंभीर रोगों के विकसित होने के जोखिमों को कम किया जा सकता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें | epostlive (ई पोस्ट लाइव ) इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है|