आज का इतिहास:अल्फ्रेड नोबेल को मिला डाइनामाइट का पेटेंट; संविधान सभा की अंतिम बैठक में बाबा साहब का समापन भाषण

इतिहास 

संविधान सभा की अंतिम बैठक में बाबा साहब का समापन भाषण, जानिए

इतिहास में 25 नवंबर की तारीख स्वतंत्र भारत की एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना के साथ दर्ज है। 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आख़िरी बैठक में बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ने समापन भाषण दिया था। यहां यह उल्लेखनीय है कि बाबा साहब ने उस समय जिन चुनौतियों को राष्ट्र निर्माण में बाधक करार दिया था, वह आज भी उतनी ही विकरालता के साथ देश के सामने मौजूद हैं। यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि वह संविधान सभा के आख़िरी भाषण में आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के ख़ात्मे को राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में सामने लाए।

अल्फ्रेड नोबेल को मिला डाइनामाइट का पेटेंट

25 नवंबर 1867। ये वो दिन था, जब दुनिया को खतरनाक विस्फोटक ‘डायनामाइट’ के बारे में पता चला था। डायनामाइट को बारूद भी कहते हैं। इसकी खोज मशहूर वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी। वही अल्फ्रेड नोबेल, जिनके नाम पर हर साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। इसी डायनामाइट ने नोबेल को मशहूर किया और इसी की वजह से उन्होंने शांति का रास्ता चुना।

21 अक्टूबर 1833 को स्वीडन में अल्फ्रेड नोबेल का जन्म हुआ। इसी साल उनके पिता इमैनुएल दिवालिया हो गए। इमैनुएल रूस के पीटर्सबर्ग चले गए और वहां एक मैकेनिकल वर्कशॉप शुरू की। 9 साल बाद उनका पूरा परिवार पीटर्सबर्ग आ गया। अल्फ्रेड नोबेल 17 साल की उम्र में पेरिस पहुंचे। यहां से इटली, जर्मनी और अमेरिका गए। इटली में उनकी मुलाकात आसकानिया सुबरेरो से हुई। आसकानिया ने 1847 में नाइट्रोग्लिसरीन की खोज की थी। यहां से अल्फ्रेड की रुचि ‘नाइट्रोग्लिसरीन’ में हुई और उन्होंने निर्माण कार्यों में इसके इस्तेमाल का सोचा। नाइट्रोग्लिसरीन एक खतरनाक विस्फोटक था, लेकिन इसे लाने-ले जाने में काफी दिक्कत होती थी। एक दिन जब अल्फ्रेड उस पर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे, तभी उसमें विस्फोट हो गया और उनके भाई एमिल की मौत हो गई।

इसके बाद स्वीडिश सरकार ने नाइट्रोग्लिसरीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। पर अल्फ्रेड नहीं रुके, उन्होंने झील में एक नाव को अपनी प्रयोगशाला बनाया। आखिरकार 1866 में उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन में सिलिका को मिलाकर एक ऐसा मिश्रण बनाया जो धमाकेदार तो था साथ ही इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित भी था। बस यहीं से बना डायनामाइट। उन्होंने 25 नवंबर 1867 को डायनामाइट का पेटेंट कराया।

1888 में अल्फ्रेड के भाई लुदविग की मौत हो गई। तब एक फ्रेंच अखबार ने अनजाने में छाप दिया कि अल्फ्रेड नोबेल का निधन हो गया। इसके साथ अखबार ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें ‘Merchant Of Death’ यानी ‘मौत का सौदागर’ बताया।

इसी बात ने अल्फ्रेड को परेशान कर दिया और वो शांति के काम में लग गए। 10 दिसंबर 1896 को उनकी मौत हो गई।

डाइनामाइट के अलावा अल्फ्रेड के नाम पर आज 355 पेटेंट है। उन्होंने अपनी वसीयत में मानवता को लाभ पहुंचाने वाले लोगों को अपनी संपत्ति में से पुरस्कार देने की इच्छा जताई थी, जो आज प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार नाम से जाना जाता है।

25 नवंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2013: इराक की राजधानी बगदाद के कैफे में हुए धमाके में 17 लोगों की मौत हो गई। 37 घायल हुए।

2004: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कश्मीर फार्मूले को पाक-कश्मीर समिति ने खारिज किया।

1973: ग्रीस में हफ्तों से फैली अशांति के बीच आज ही के दिन वहां की सेना ने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज पापाडोपोलस का तख्ता पलट दिया था।

1965: फ्रांस ने अपना पहला सैटेलाइट लॉन्च किया।

1960: टेलीफोन की STD व्यवस्था का भारत में पहली बार कानपुर और लखनऊ के बीच प्रयोग किया गया।

1949: स्वतंत्र भारत के संविधान पर संवैधानिक समिति के अध्यक्ष ने हस्ताक्षर किए और इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया।
1945: अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में आए बर्फीले तूफान के कारण हुई स्कूल बस दुर्घटना में 15 बच्चों की मौत हो गई।

1936: जर्मनी और जापान के बीच कोमिंटन (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) विरोधी समझौते पर हस्ताक्षर।

1930: जापान में एक ही दिन में भूकंप के 690 झटके रिकॉर्ड किए गए।

1866: इलाहाबाद हाईकोर्ट का उद्घाटन।

1716: अमेरिका में पहली बार किसी शेर को प्रदर्शनी में रखा गया।

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