देहरादून। पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रि) ने पुष्कर सिंह धामी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उत्तराखंड में यह पहली बार हुआ, जब किसी मुख्यमंत्री को लगातार दूसरा बार अवसर दिया गया हैै। भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी को फिर से नेता चुना गया है। वहीं पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है। लेकिन सीएम धामी स्वयं खटीमा सीट से चुनाव हार गए, इसके बावजूद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने धामी पर ही भरोसा जताया है। साथ ही धामी को छह महीने के अंदर विधायकी का चुनाव जीतना होगा।
पुष्कर सिंह धामी के दोबारा सीएम बनने से पार्टी कार्यकर्ताओं मे जबरदस्त उत्साह है।. देहरादून के परेड मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण के हजारों लोग साक्षी बने। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों के साथ जश्न मनाते दिखाई दिए। वहीं पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है। जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने भी उन पर भरोसा जताया है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अगले 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना होगा। क्योंकि धामी को इस विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।
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पुष्कर सिंह धामी ने फिर ली उत्तराखंड के बारहवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ।
हरीश रावत ने कहा कांग्रेस की हार की नब्ज़ टटोलेंगे नाड़ी वैध।
देहरादून। दिल्ली से कांग्रेस की हार की समीक्षा करने उत्तराखंड आए कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पर्यवेक्षक अविनाश पांडे को हरीश रावत ने नाड़ी वैद्य बताया है। हरीश रावत ने कहा है कि हमारे नाड़ी वैद्य हार को लेकर सबसे बात कर रहे हैं और कांग्रेस को हार क्यों मिली, वो भी जानने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि
चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के समय अविनाश पांडे को स्क्रीनिंग कमेटी का हेड बनाया गया था और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की भी अहम भूमिका थी। ऐसे में अविनाश पांडे ने सभी कांग्रेस प्रत्याशियों का इंटरव्यू भी लिया था। इसलिए हरीश रावत ने अविनाश पांडे और देवेंद्र यादव को नाड़ी वैद्य बताया है, क्योंकि कांग्रेस की हार के कारणों की उनको ज्यादा जानकारी है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पर मानमानी का आरोप लगा। इसलिए कई प्रत्याशी टिकट नहीं मिलने से बागी हो गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा उदाहरण नैनीताल से सरिता आर्य और यमुनोत्री से संजय डोभाल है। सरिता आर्य को कांग्रेस ने टिकट नहीं दी। उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर ली और उनको नैनीताल से बड़ी जीत मिली। यमुनोत्री से संजय डोभाल को भी कांग्रेस ने टिकट नहीं दी, संजय डोभाल निर्दलीय ही चुनाव जीत गए। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को मिली हार का मंथन करने के लिए पर्यवेक्षक अविनाश पांडे और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव उत्तराखंड पहुंचे हैं और हार के कारणों पर मंथन के लिए सभी प्रत्याशियों से बाचचीत कर रहे हैं। उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी को 47 सीटें और कांग्रेस को 19 सीटें मिली हैं, जबकि 4 सीटें अन्य दलों के खाते में गईं। दूसरी ओर, कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं कि पार्टी की हार के जिम्मेदार नेता ही अब हार की समीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड में कांग्रेस की वर्तमान हालत और भविष्य का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
अंतर्कलह का दंश झेल रही कांग्रेस,आखिर कैसे मिलेगा मुकाम?
देहरादून। हार की समीक्षा करने की जगह उत्तराखण्ड कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी हावी हो रही है। जिसके चलते कांग्रेस वर्तमान में अंर्तकलह का दंश झेल रही है। हालात यह है कि दो धड़ों में बंटी कांग्रेस पार्टी की गोपनीय बातें सोशल मीडिया पर लिखी जा रही हैं। प्रीतम सिंह गुट और हरीश रावत खेमा ऐसे-ऐसे तीर सोशल मीडिया पर छोड़ रहा है, जो विरोधी गुट से ज्यादा पार्टी के सीने को छलनी कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लड़ाई इस बात की हो रही है कि राज्य में कांग्रेस की हार के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके लिए सबसे ज्यादा निशाना हरीश रावत बने हुए हैं। कोई हरीश रावत के स्लोगन पर तंज कस रहा है तो कोई उनके संगठन चलाने के तरीकों पर सवाल खड़े कर रहा है। बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को अब यह कहना रहा पड़ा है कि पार्टी कार्यकर्ता और नेता पार्टी प्लेटफार्म पर ही अपनी बात रखें, सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह की चीजों को पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। गणेश गोदियाल ने कहा कि उनके द्वारा हार की जिम्मेदारी लेकर पार्टी हाईकमान से इस्तीफा देने को लेकर पूछ लिया गया है। लेकिन हाईकमान की तरफ से उन्हें कोई ऐसा आदेश नहीं मिला है। इसलिए वह इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं। उधर प्रीतम सिंह हरीश रावत पर बिना नाम लिए बड़े इल्जाम लगा रहे हैं। जवाब में हरीश रावत भी जुबानी तीर छोड़ रहे हैं। मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर गोदियाल ने कहा कि यूनिवर्सिटी खोलने की कांग्रेस की कोई पॉलिसी में कहीं नहीं थी। उन्होंने कहा कि अब यह जांच का विषय है कि उस व्यक्ति ने यह अपनी मर्जी से कहा था या किसी के कहलाने या उकसाने पर कहा था। मगर भाजपा ने इसे तिल का ताड़ बना दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं कहा कि यह बात कांग्रेस पर जबरदस्ती चिपकाई गई। गोदियाल ने साफ किया कि यह बात कांग्रेस के कार्यकर्ता ने की थी लेकिन मैंने, प्रीतम सिंह और हरीश रावत ने कहीं भी इस बात को नहीं बोला। उसके बावजूद इसे कांग्रेस की थीम लाइन बना दिया गया। यह भाजपा का वोटों के ध्रवीकरण का प्रयास था जो सफल रहा। गोदियाल ने कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाला बयान देने वाले सहसपुर के अकील अहमद को कांग्रेस उपाध्यक्ष किसने बनाया, उसकी जांच होगी। वह प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी का पदाधिकारी भी नहीं था लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में उसे पदाधिकारी बनाया गया। ऐसे में यह जांच का विषय है। कांग्रेस के भीतर चल रहे युद्ध कि भले ही यह शुरुआत है, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद सोशल मीडिया पर खुले रूप से शुरू हुई जबरदस्त जंग अब कांग्रेस पार्टी के लिए और भी बड़ी मुसीबत बन गई है।
उत्तराखंड भाजपा संगठन फेरबदल के संकेत, सीएम के दिल्ली दौरे और जे पी नड्डा की मुलाकात से चर्चाएं तेज।
देहरादून। उत्तराखण्ड भाजपा में लगातार उठापटक जारी है। भाजपा में चुनाव के दौरान भीतरघात को लेकर बवाल मचा हुआ है। जिसने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है। क्योंकि भाजपा विधायकों ने सीधे ही मदन कौशिक को अपना निशाना बनायाय है। मंगलवार शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक दिल्ली पहुंचे और यहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ उनकी मुलाकात को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। इससे पूर्व चूंकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड के पार्टी अध्यक्ष समेत कई नेताओं को दिल्ली तलब कर चुका है। इसलिए इन बैठकों के सियासी संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों से उत्तराखंड बीजेपी में जिस तरह भितरघात के आरोप लगे और इन आरोपों में सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का नाम आया, तो साफ माना जा रहा है कि पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है ओर वह भी 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने से पहले ही।
भारतीय जनता पार्टी में मतदान के बाद भितरघात के आरोपों को लेकर बवाल खड़ा हो चुका है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर पार्टी के विधायक ही जिस तरह से आरोपों की बौछार कर चुके हैं, उससे साफ तौर पर तय है कि पार्टी के भीतर खेमेबाज़ी चल रही है और सब कुछ तो ठीक ठाक नहीं है। राज्य के नेताओं के एक एक कर दिल्ली जाकर बैठकें करने को बीजेपी भले ही मतदान के बाद की समीक्षा बताए लेकिन असल जड़ में सत्ता में वापसी या सत्ता से बाहर होने की सूरत में पार्टी के भीतर होने वाला बदलाव है। .चर्चा है कि सरकार बनने और न बनने, दोनों ही सूरतों में बीजेपी प्रदेश संगठन में बदलाव कर सकती है। सरकार बनी तो मदन कौशिक का मंत्री बनना तय है और नहीं बनी तो भी पार्टी संविधान के मुताबिक 2023 में संगठन के चुनाव होने ही हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, पार्टी में इसको लेकर हो रही लॉबिंग चर्चाओं में है।