
योग
नियमित रूप से योग का अभ्यास करके आप शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि कई प्रकार की क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटीज और हृदय रोग आदि में भी योग के अभ्यास से लाभ मिल सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि डायबिटीज रोगी योग का अभ्यास करके ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल में रख सकते हैं। इसके अलावा योगासनों के अभ्यास की आदत कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं को दूर करने में भी आपके लिए मददगार हो सकती है।योग विशेषज्ञ कहते हैं डायबिटीज की समस्या से परेशान लोगों को दिनचर्या में योगाभ्यास को जरूर शामिल करना चाहिए। हालांकि योगासनों के दौरान क्या करना है-क्या नहीं, इस बात का भी ख्याल रखना जरूरी हो जाता है।हार्मोन्स के स्तर को कंट्रोल करने के साथ स्वास्थ्य जटिलताओं को कम करने में नियमित योग के अभ्यास से आपको लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज रोगी किन योगासनों से लाभ पा सकते हैं, साथ ही इस दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना आवश्यक होता है?
पश्चिमोत्तानासन योग से मिलता है लाभ
पश्चिमोत्तानासन योग के अभ्यास को डायबिटीज वाले लोगों के लिए काफी कारगर माना जाता है। यह योगासन अग्न्याशय के कामकाज में सुधार करने के साथ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है उन्हें इसके अभ्यास से संबंधित जटिलताओं के जोखिमों को कम करने में लाभ मिल सकता है। हालांकि पीठ की चोट, अस्थमा या हाल ही में सर्जरी करा चुके रोगियों को इस आसन से बचना चाहिए। खाने के तुरंत बाद इस आसन को न करें।

पवनमुक्तासन योग का अभ्यास
पवनमुक्तासन योग का अभ्यास पेट के अंगों को स्वस्थ और फिट बनाए रखने में काफी कारगर माना जाता है। यह पेट की मांसपेशियों को मजबूती देने के साथ पेट की चर्बी को भी कम करता है। अग्नाशय के कार्यों को ठीक रखने के साथ हार्मोन्स के स्राव को बेहतर रखने में भी इस योग के अभ्यास से आपको लाभ मिल सकता है। यह पाचन को बढ़ावा देने के साथ कब्ज से राहत देता है। हालांकि ध्यान रखें, इस अभ्यास के दौरान अपनी गर्दन पर ज्यादा दबाव न डालें और शरीर को अधिक मत खींचें।

सर्वांगासन योग के फायदे
सर्वांगासन को संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद अभ्यास के तौर पर जाना जाता है। मधुमेह वाले लोगों को सर्वांगासन का अभ्यास करना चाहिए, यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह अग्न्याशय के कामकाज में सुधार करके इंसुलिन उत्पादन को नियंत्रित करता है। इस मुद्रा को सही तकनीक में करने से नींद की गुणवत्ता को ठीक रखने में भी मदद मिल सकती है। हालांकि गर्भावस्था, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलोसिस, गर्दन में दर्द, मासिक धर्म, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, ग्लूकोमा और थायराइड से पीड़ित लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

अस्वीकरण: यह लेख योगगुरु के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। (ई पोस्ट लाइव) epostlive लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।