उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर सरकार ने कहीं आईएएस वह पीसीएस अधिकारियों के विभागों में किया फेरबदल राधा रतूड़ी को अपर मुख्य सचिव ऊर्जा व वैकल्पिक ऊर्जा की दी गई जिम्मेदारी रमेश कुमार सुधांशु से प्रमुख सचिव राज्य संपत्ति तथा सूचना प्रौद्योगिकी लिया गया वापस अमित सिंह नेगी सह सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा की जिम्मेदारी ली गई वापस सचिव सूचना प्रौद्योगिकी की दी गई जिम्मेदारी आर मीनाक्षी सुंदरम को मुख्य परियोजना अधिकारी यूजीवीएस आईएपी की दी गई जिम्मेदारी शैलेश बगोली को आबकारी सचिव बनाया गया रितेश झा को सचिव तकनीकी शिक्षा बनाया गया सचिन कुर्वे से आबकरी दिया गया वापस ग्रामीण निर्माण विभाग की दी गई जिम्मेदारी सौजन्य से सचिव वित्त ऊर्जा के वैकल्पिक ऊर्जा लिया गया वापस हरबंस सिंह चुघ से सभी विभाग लिए गए वापस क्योंकि वह आज रिटायर हो गए हैं बीवीआरसी पुरुषोत्तम से सचिव राजस्व लिया गया वापस विजय कुमार यादव को परियोजना निदेशक उत्तराखंड वर्कफोर्स डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई सुशील कुमार को आयुक्त गढ़वाल वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी चारधाम देवस्थानम बोर्ड की दी गई जिम्मेदारी आयुक्त कुमाऊं मंडल के पद से हटाया गया रविनाथ रमन को सचिव राजेश को बनाया गया आयुक्त गढ़वाल मंडल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के पद से हटाया गया रंजीत कुमार सिन्हा के सचिव परिवहन की जिम्मेदारी दी गई वापस चंद्रेश कुमार यादव को सचिव श्रम व अध्यक्ष उत्तराखंड भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की दी गई जिम्मेदारी विनोद कुमार सुमन को सचिव राज्य संपत्ति की जिम्मेदारी दीपेंद्र कुमार चौधरी को सचिव परिवहन की जिम्मेदारी तकनीकी शिक्षा वायु परिवहन के जिम्मेदारी ली गई वापस आनंद श्रीवास्तव को परियोजना प्रबंधक यूएओपी की दी गई जिम्मेदारी रंजना से जिलाधिकारी उधम सिंह नगर का परिवार हटाया गया अपर सचिव पर्यटन नागरिक उड्डयन की दी गई जिम्मेदारी अहमद इकबाल को परियोजना निदेशक यूजीवीएस की जिम्मेदारी जुगल किशोर पंत को जिलाधिकारी उधम सिंह नगर बनाया गया रणवीर सिंह चौहान को अपर सचिव संस्कृति धर्मस्व महानिदेशक संस्कृति व आयुक्त परिवहन बनाया गया।
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उत्तराखंड आंदोलन-तीन पर्वतीय राज्य परिषद, उत्तरांचल परिषद और उत्तराखंण्ड राज्य परिषद- विक्रम बिष्ट
पर्वतीय राज्य परिषद के गठन के बाद आंदोलन में तेजी आई। टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा सांसद क्रमशः मानवेंद्र शाह, प्रताप सिंह नेगी, नरेंद्र सिंह बिष्ट, विधायक इन्द्रमणि बडोनी, चन्द्र सिंह रावत, लक्ष्मण सिंह अधिकारी,गोबिंद सिंह नेगी सहित उत्तराखंड के कई प्रमुख नेता, पत्रकार, अधिवक्ता, संस्कृतिकर्मी,
राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता परिषद के आंदोलन को गति देने के लिए सक्रिय रहे थे।
परिषद की एक खासियत यह थी कि वाम से लेकर धुर दक्षिणपंथी नेता इसमें सक्रिय रहे थे। कांग्रेस के विभाजन के बावजूद कांग्रेस ई और कांग्रेस संगठन के नेता एक मंच से पृथक पर्वतीय राज्य की मांग बुलंद कर रहे थे।
दिल्ली में भी निगम पार्षद कुलानंद भारती सहित कई लोग राज्य निर्माण आंदोलन को व्यापक बनाने की कोशिशों में जुटे थे। जारी,,,,
पीढ़ियों का संघर्ष उत्तराखण्ड आंदोलन: विक्रम बिष्ट
भाजपा की गर्वोक्ति – अटल जी ने दिया है और मोदी जी संवारेंगे- को मान लें तो उत्तराखण्ड आंदोलन के इतिहास की बात करना बेमतलब है। लेकिन भाजपा के नेता राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने मसूरी, खटीमा और रामपुर तिराहे जाते हैं!
शहीदों के सपनों को साकार करने का संकल्प लेते हैं। सच क्या है!
उत्तराखंड राज्य निर्माण के विरोधी और इसकी पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जी ने राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण करने का फैसला लिया था। मकसद क्या था? सिर्फ १९९४ का आंदोलन, और उसको महज कुछ लोगों का आंदोलन साबित करके इतिहास को बदरंग करना। अपने लोगों को येन केन प्रकारेण लाभान्वित करना।
बहरहाल हमारी जानकारी में उत्तराखंड राज्य पीढ़ियों के अनथक संघर्ष की देन है। अनगिनत लोगों ने अपने-अपने स्तर पर त्याग, तपस्या की है।
सरकार ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की स्थगित प्रक्रिया को पुनः शुरू किया है। परिणाम जल्दी सामने आयेंगे।
१९९४ में कौन राज्य आंदोलनकारी नहीं था इसकी पहचान ज्यादा आसान होती। बहरहाल हम आंदोलन की सरसरी जानकारी याद करने की कोशिशें करते हैं।
भिलंगना से शहीद सम्मान यात्रा का सुभारम्भ। टिहरी से 98 शहीदों के घर के आँगन से सैन्य धाम के लिए मिट्टी इकठ्ठी की जाएगी।
घनसाली। शासन के निर्देश पर भिलंगना ब्लॉक मुख्यालय से विद्या मंदिर के छात्रों के आर्मी बैंड धुन के साथ शहीद सम्मान रथ कलश यात्रा की रवानगी विधायक शक्ति लाल शाह के द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया। इस अवसर पर सैनिक कल्याण बोर्ड के भिलंगना ब्लॉक प्रतिनिधि कै. रघुबीर सिंह भंडारी, ने रथ दो दिवसीय रथ यात्रा के बारे मे बताया कि जाख ,अखोडी , धमातोली होते हुए ठेला, तितराणा, चमीयाला, लाटा, बुढाकेदार भट्ट गॉव , असेना, कोटी मगरों आदि क्षेत्रों में सूचीबद्ध शहीद सैनिकों के घरों के आंगन कि मिट्टी कलश में भर कर लाई जायेगी। 18 नवम्बर को ब्लॉक मुख्यालय पर शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया जायेगा। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ले. कर्नल जी एस चंद ने बताया कि जनपद टिहरी से 98 शहीदों के घर के आँगन से सैन्य धाम के लिए मिट्टी इक्ट्ठा करने के लिए यह शहीद सम्मान रथ कलश यात्रा निकाली जा रही है। भिलंगना ब्लॉक से 10 शहीदों के घरों के आँगन से मिट्टी इकट्ठी की जा रही है। इस अवसर पर तहसील दार महेशा शाह,खंड विकास अधिकारी राजेंद्र अवस्थी, उप खण्ड शिक्षा अधिकारी भुवनेश्वर जदली, पूर्व प्रदेश महामंत्री भाजपा स्वंय सेवी प्रकोष्ट तेजराम सेमवाल , जिला उपाध्यक्ष आनंद बिष्ट, मण्डल अध्यक्ष राम कुमार कठैत, प्रताप सिंह सजवान, भाजपा नेता रुकम लाल राही, विक्रम असवाल कर्ण सिंह घनाता, कुशाल सिंह रावत, धन पाल राणा, नगर संघ चालक अनिल प्रसाद रतूड़ी, एस आई यशवंत सिंह, एस आई बलबीर सिंह रावत, आचार्य बंगवाल व पांडे, ब्लॉक से संजय तिवारी धर्मेंद्र पंवार, केदार सिंह बिष्ट, ललित नेगी प्रकाश सिंह गुसाईं, अखिलेश रावत, सहित अनेक गण मान्य व्यक्ति उपस्थित थे
राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन, डायट टिहरी में स्कूली बच्चों ने लिया हिस्सा।
टिहरी- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के सभी 9 ब्लाकों के स्कूली बच्चों द्वारा रोल प्ले, लोकनृत्य, पोस्टर और निबन्ध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया गया। इस मौके पर बच्चों ने बालक- बालिकाओं के लिये अवसर की समानता, वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान एवं देखभाल, पर्यावरण की सुरक्षा, मादक पधार्थों के सेवन से समस्यायें और किशोर अवस्था की चुनौतियों से सम्बन्धित विषयों की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इस मौके पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य चेतन प्रसाद नौटियाल ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिये संस्थान द्वारा समय समय पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और आगे भी जारी रहेंगे। उन्होने कहा कि जिला स्तर पर चयन के बाद जो बच्चे अब्बल रहेंगे उनकों राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। यह कार्यक्रम एससीआरटी द्वारा आयोजित करवाया जाता है।
भौंकुछ। विक्रम बिष्ट – देवभूमि में फिर पुण्य का पिटारा,,,,,बांटे रेवड़ी,,,!
देवभूमि में फिर पुण्य का पिटारा,,,,,बांटे रेवड़ी,,,!
उत्तराखंड सरकार ने पुण्य फल का पिटारा फिर खोल दिया है। साल के आखिरी दिन तक पुण्य फल बांटे जाएंगे।जी मतलब, उत्तराखंण्ड आंदोलनकारियों को! या,,,को ?
उत्तराखंड के सच्चे आंदोलनकारियों की पहचान तो होनी ही चाहिए। वरना हमारे जैसे लोगों को अभी भी भ्रम है कि हम भी कभी आंदोलनकारी थे। इस बार यह भ्रम पूरी तरह समाप्त कर दिया जाना चाहिए! सरकार, उसके समदर्शी+ सहश्रचक्षु+ न्याय के प्रति समर्पित तंत्र से पूरी उम्मीद है। भाजपा+ कांग्रेस+ फिसल पड़े तो हर-हर गंगे ख्याति प्राप्त राज्य आंदोलनकारियों के सहयोग से।
इस ढूंढने- ढांढ़ने के पुण्य कर्म की शुरुआत तिवारी जी ने की थी। वह उत्तराखण्ड राज्य के सबसे बड़े पैरोकार थे, क्या धांसू डायलाग मारा था- उत्तराखंण्ड राज्य मेरी लाश पर बनेगा! बन ही गया तो चलो चुपचाप मैं ही मुख्यमंत्री बन जाता हूं। आंध्र प्रदेश बाद में देख लूंगा। दिल्ली में अपनी कांग्रेस का राज़ होगा जब। दरिया दिल नेता थे इसलिए चिन्हीकरण के लिए ऐसे मानक तय किए गए जिसके तहत नकली,,,
मेरा मतलब असली आंदोलनकारी तुरंत चिन्हित हो सकें। कांग्रेस, भाजपा बराबर, कुछ चंट- चालाक। और जिनको सरकारी रिकॉर्ड खंगाल कर इस पुण्य कर्म में बड़ी जिम्मेदारी निभानी है उनका भी तो कुछ बनता है।
सरकार ने एक महान खोज यह भी की थी कि इन्द्र मणि बडोनी उत्तराखंण्ड राज्य आंदोलनकारी थे। कोई शक न रहे इसलिए पौड़ी प्रशासन ने ही बडोनी जी को प्रमाण पत्र जारी किया। अब यह प्रमाण पत्र बडोनी जी को मिला या नहीं यह तो सरकार आप ही पता लगा सकते हैं।
अभी यह सूचना मिली है कि भारत में आखिरी ब्रिटिश
वायसराय ने महारानी विक्टोरिया से पुन: इंडिया के यूके जाने की अनुमति मांगी है ताकि वह यहां आकर महारानी की ओर से चिन्हित लोगों को ताम्र पत्र बांट सकें ताकि सनद रहे।
भौंकुछ- विक्रम बिष्ट :पन्द्रह साल बाद उत्तराखंण्ड।
भौंकुछ – विक्रम बिष्ट:
पन्द्रह साल बाद उत्तराखंण्ड।
दृश्य-एक
सरकारी दफ्तर। नौकरी का आवेदक एक पहाड़ी युवा।
अफसर- अच्छा तुम मूल निवासी हो। लेकिन स्थाई निवासी होना जरूरी है। ये मूल-माल तो पुराने जमाने की बात है। अब यह नहीं चल सकता है। स्थाई निवास प्रमाण पत्र है तो ठीक नहीं तो जा सकते हो।
दृश्य- दो
स्वरोजगार दफ्तर। मुम्बई से आया एक उत्साही युवा। वह पहाड़ पर रोजगारपरक निवेश करना चाहता है। जमा पूंजी है थोड़ी-सी जगह की जरूरत है।
अफसर- जमीन तो बांट दी गई है। थोड़ी बची है लेकिन स्थाई निवास प्रमाण पत्र होने पर ही दी जा सकती है।
दृश्य-चार
जिला मुख्यालय स्थित रोजगार दफ्तर। एक शिक्षित लड़की पंजीकरण कराने आई है। दफ्तर की खिड़की पर नोटिस टंगा है- नौकरियां नहीं हैं। कृपया समय बर्बाद न करें।
अन्दर से कुछ आवाजें आ रही हैं। हिम्मत करके लड़की आगे बढ़कर दरवाजा खोलती है। कमरा शराब की पेटियों-बोतलों से भरा है। पिछवाड़े की खिड़की पर लाईन लगी है।
देवभूमि की बेटी उदास गांव लौट रही है।
दृश्य- पांच
देहरादून में मंत्री निवास। युवा घेरा डाले हैं। मांगें, शिकायतें वही हैं, रोजगार, मूल निवास, जल, जंगल, जमीन। जब मंत्री जी के अच्छे दिन थे, अपना निवास छोड़ देहरादून के स्थाई निवासी हो गये। बच्चे विदेश में पढ़ाए। विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की कृपा से दूसरों की दया के पात्र हैं, समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या कहें, क्या जवाब दें!
दो-टूक :पत्रकारिता झुंतू की जमींदारी? मुकेश पंवार
टिहरी बांध की झील पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण का केन्द्र बन गई है। उम्मीद है कि इस विशाल कृत्रिम झील के कारण यह क्षेत्र भविष्य में विकास की नयी ऊंचाइयों को छुयेगा। लेकिन टिहरी बांध की एक और देन नई टिहरी के बारे में यह उम्मीद नहीं दिखाई देती है।
वीआईपी मेहमान ही नई टिहरी की उम्मीदों पर पलीता लगा रहे हैं।
आये दिन वीआईपी सैर-सपाटे के लिए झील क्षेत्र में आते हैं। प्रचार भी जरूरी है। पत्रकारों को बुलाया जाता है। पत्रकार नई टिहरी में रहते हैं। लगभग बीस किलोमीटर दूर पत्रकार उनके दर्शन करने जाएं। कोई महत्वपूर्ण बात हो तो पत्रकारों का दायित्व बनता है।
इस महंगाई के समय में केवल वीआईपी की प्रचार भूख शांत करने की जिम्मेदारी पत्रकारिता के दायित्व में कब से शामिल हुई है?
अच्छा तो यह है कि जनता की गाढ़ी कमाई से मौज-मस्ती करने वाले महानुभाव अपने बहुमूल्य समय में कुछ क्षण नई टिहरी को दर्शन देने के लिए भी निकालें। इस शहर में कुछ तो चहलकदमी बढ़ेगी। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर भी अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा।
चुनाव चर्चा- विक्रम बिष्ट: घनसाली से महिला हुंकार
15 अगस्त 1990 को प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मण्डल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की थी। इसके विरोध में उत्तर भारत में जबरदस्त आंदोलन शुरू हुआ था। छात्रों द्वारा आत्मदाह जैसी दर्दनाक घटनाएं भी हुईं। ओबीसी आरक्षण लागू होना था और हुआ।
टिहरी में आंदोलनरत कुछ छात्र नेताओं के समक्ष हमने यह प्रस्ताव रखा था कि उत्तराखण्ड को पिछड़ा क्षेत्र घोषित कर आरक्षण में शामिल करने की मांग करनी चाहिए। उन्होंने जवाब दिया कि आप उत्तराखंड क्रांति दल वाले हो और इस बहाने उत्तराखंड राज्य की मांग आगे बढ़ाना चाहते हैं। उस आरक्षण विरोधी आंदोलन से उत्तराखंड को क्या हासिल हुआ?
1994 में मुलायम सिंह यादव ने शिक्षण संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण की घोषणा की। याद है शासनादेश जारी होने के बाद टिहरी में बद्रीनाथ मंदिर में गजेन्द्र असवाल की अध्यक्षता में पहली बार इस मुद्दे पर बैठक हुई थी।
हालांकि उक्रांद अपनी पुरानी मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर चुका था। वर्तमान भिलंगना ब्लाक और घनसाली विधानसभा क्षेत्र पहले दो ब्लाक और दो विधानसभा क्षेत्रों में बंटा था। इन्द्र मणि बडोनी देवप्रयाग के विधायक रहे थे।
2 अगस्त 1994 में बडोनी जी के नेतृत्व में पौड़ी में शुरू हुआ आंदोलन इतिहास की अमिट धरोहर है, चाहे इस पर कितनी ही कालिख पोतने की कोशिश की जाए।
कीर्तिनगर क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा ग्राम प्रधान घनसाली से उस दिन पौड़ी पहुंचे थे।
यदि बडोनी जी और उनके सहयोगी आरक्षण के मुद्दे को उत्तराखंड राज्य की मांग से नहीं जोड़ते तो नतीजा क्या होता? शायद 1990 !
अब आज के मुद्दे पर आते हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं को चालीस फीसदी टिकट देने की प्रियंका गांधी की घोषणा पर उत्तराखंड में सबसे सकारात्मक प्रतिक्रिया घनसाली से सामने आई है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य कैलाशी देवी ने विधानसभा चुनाव में घनसाली से कांग्रेस टिकट के लिए दावेदारी की है। यह कोरी कल्पना नहीं क्या घनसाली फिर इतिहास बनाने वाला है?